नवी मुंबई तलोजा में 102 रैपिड ऐक्शन फोर्स बटालियन के सिपाही ने अपने डीआईजी का स्टिंग कर उसके साथ हो रही ज्यादती उजागर की है। स्टिंग में डीआईजी की पत्नि उसे डांटते और भला बुरा कहते दिख रही हैं। वह कह रही हैं कि पता नही कहां से गधे इकट्ठे हो गए हैं।
सेना और अर्धसैनिक बलों में बड़े अफसरों पर जवानों से अपने घर के काम करवाने का आरोप लगता रहा है, लेकिन शायद पहली बार एक सेवादार ने इस ज्यादती का स्टिंग कर मामले को सामने लाने की हिम्मत जुटाई है।
सेवादार एकनाथ पाटिल ने एनडीटीवी को बताया कि ख़ुद पर ज्यादतियों के ख़िलाफ हथियार डालने के बजाये उसने संघर्ष का रास्ता चुना। इसलिए पूरे मामले का वीडियो बनाया।
साल 2003 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए पाटिल मानते हैं कि वह भले ही बतौर कुक भर्ती हुए हैं, लेकिन मेस में जवानों का खाना बनाने के लिए। अफसरों के घर में चाकरी के लिए नहीं। डीआईजी की पत्नि हमसे जानवरों जैसा व्यवहार करती हैं।
इस बारे में डीआईजी जीएल मीणा का कहना है कि तबादले के लिए कुछ सेवादार इस तरह के आरोप लगाते रहते हैं। लेकिन उन्होंने यह भी माना कि सेवादारों से घर का काम नहीं कराया जा सकता है, सफाई में सिर्फ इतना कहा कि कभी कभार ज़रूरत पड़ती है तो बुला लेते हैं।
डीआईजी साहब सिपाहियों को कभी कभार बुलाने की बात कह रहे हैं, लेकिन एक नहीं कई ऐसे सिपाहियों ने हमसे फोन पर संपर्क साधा और बताया कि सूबेदार से लेकर डीआईजी तक के घरों में पद के अनुसार दो से लेकर आठ अर्दलियों तक से काम करवाया जाता है। जिसमें लैट्रीन साफ करने से लेकर झाडू-पोंछा, बर्तन, कपड़े धोने और कुत्ता घुमाना तक शामिल है।
हालांकि 24-9-2008 को लिखे एक पत्र के जरिये केंद्र सरकार फरमान जारी कर चुकी है कि सेंट्रल आर्म्ड फोर्स, एनएसजी और असम रायफल्स में अफसर या उनके घरवालों के लिए सेवादारों की नियुक्ति नहीं होगी, अगर कोई अफसर दोषी पाया गया तो उसके ख़िलाफ कार्रवाई भी होगी। लेकिन जिस तरह ये वीडियो सामने आया है, उससे पता लगता है कि हक़ीक़त में इस सरकारी फरमान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
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