"समझ की गंभीर कमी", भारत ने अमेरिका की धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट पर जताया कड़ा एतराज

इस तरह की रिपोर्ट तस्दीक करती है कि इसे तैयार करने वालों के पास भारत लेकर समझ, यहां के संवैधानिक ढांचा, इसकी बहुलता और इसके लोकतांत्रिक लोकाचार की समझ काफी कम है.

नई दिल्ली:

भारत ने अमेरिका की 'अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर आयोग' (USCIRF) की रिपोर्ट पर कड़ा एतराज जताते हुए इसे पक्षपाती और गलत बताया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इस रिपोर्ट पर कहा कि हमने भारत को लेकर USCIRF की पक्षपात पूर्ण और गलत रिपोर्ट को देखा है. इस तरह की रिपोर्ट तस्दीक करती है कि इसे तैयार करने वालों के पास भारत लेकर समझ, यहां के संवैधानिक ढांचा, इसकी बहुलता और इसके लोकतांत्रिक लोकाचार की समझ काफी कम है. उन्होंने आगे कहा कि अफसोस की बात ये है कि USCIRF एक एजेंडे के तहत अपने बयानों और रिपोर्टों में बार-बार तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत करना जारी रख रहा है. इस तरह की रिपोर्ट किसी संगठन की विश्वसनीयता और उसकी निष्पक्षता पर सवाल खड़े करने वाली है.  

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बता दें कि जून में जारी एक रिपोर्ट में बाइडन प्रशासन को भारत, चीन, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और 11 अन्य देशों को धार्मिक स्वतंत्रता के संदर्भ में "विशेष चिंता वाले देशों" के रूप में नामित करने की सिफारिश की गई थी. हालांकि, इस सिफारिश को माने के लिए बाइडेन सरकार कहीं से भी बाध्य नहीं है. 

गौरतलब है कि इस तरह का यह कोई पहला मामला नहीं है. वर्ष 2020 में भी अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के एक शीर्ष अधिकारी ने भारत को सभी धर्मों के लिए ऐतिहासिक रूप से काफी सहिष्णु, सम्मानपूर्वक देश बताते हुए कहा था कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता के सदंर्भ में जो भी हो रहा है उसे लेकर अमेरिका ‘बहुत चिंतित' है. अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के लिए राजनयिक सैमुअल ब्राउनबैक का यह बयान ‘2019 अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट' जारी होने के बाद आई थी. विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो की ओर सेजारी की गई इस रिपोर्ट में दुनियाभर में धार्मिक आजादी के उल्लंघन की प्रमुख घटनाओं का जिक्र है.

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हालांकि, भारत ने उस दौरान अमेरिका की धार्मिक स्वतंत्रता पर रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा था कि किसी भी विदेशी सरकार को उसके नागरिकों के सवैधानिक अधिकारों की स्थिति पर फैसला सुनाने का कोई अधिकार नहीं है.

विदेशी पत्रकारों के साथ फोन पर हुई बातचीत के दौरान ब्राउनबैक ने कहा था कि भारत ऐसा देश है जिसने खुद चार बड़े धर्मों को जन्म दिया. उन्होंने कहा था, ‘भारत में जो भी हो रहा है हम उससे बहुत चिंतित हैं. वह ऐतिहासिक रूप से सभी धर्मों के लिए बहुत ही सहिष्णु, सम्मानपूर्वक देश रहा है.' ब्राउनबैक ने कहा कि भारत में जो चल रहा है वह बहुत ही परेशान करने वाला है क्योंकि यह बहुत ही धार्मिक उपमहाद्वीप है और वहां अधिक सांप्रदायिक हिंसा देखने को मिल रही है.

उन्होंने कहा था, ‘हम और परेशानी देखने जा रहे हैं. मैं उम्मीद करता हूं कि भारत में बहुत उच्च स्तर पर अंतर धार्मिक संवाद शुरू होना चाहिए और फिर विशिष्ट मुद्दों से निपटना चाहिए. भारत में इस विषय पर और कोशिशें करने की जरूरत है और मेरी चिंता भी यही है कि अगर ये कोशिशें नहीं की गईं तो हिंसा बढ़ सकती है.'

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एक सवाल का जवाब देते हुए ब्राउनबैक ने उम्मीद जताई थी कि कोविड-19 के प्रसार के लिए अल्पसंख्यक धर्मों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाए और उन्हें संकट के दौरान जरूरत पड़ने पर स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं और भोजन और दवाएं मुहैया कराई जाए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसी भी तरह के भेदभाव की निंदा करते हुए कहा था कि कोविड-19 महामारी हर किसी पर समान रूप से असर डालती है.