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कैब ड्राइवर्स की हत्या कर, लाश खाई में फेंक देता था... दिल्ली से सीरियल किलर गिरफ्तार

अजय साल 2001 से अपने साथियों के साथ मिलकर दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड के अलग-अलग इलाकों में टैक्सी ड्राइवरों को निशाना बनाता था. ये लोग टैक्सी किराए पर लेकर सुनसान इलाकों में ले जाते, फिर ड्राइवर की हत्या कर गाड़ी लूट लेते और शव को पहाड़ी इलाकों में फेंक देते, ताकि कोई सबूत न बचे. लूटी गई गाड़ियां नेपाल में बेच दी जाती थीं.

कैब ड्राइवर्स की हत्या कर, लाश खाई में फेंक देता था... दिल्ली से सीरियल किलर गिरफ्तार
टैक्सी ड्राइवरों को बनाया था निशाना
नई दिल्‍ली:

दिल्ली से पुलिस ने सीरियल किलर को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार सीरियल किलर अपने तीन साथियों के साथ मिलकर कैब ड्राइवर्स की हत्या कर लाश खाई में फेंक देता था. इनकी गिरफ्तारी से चार कैब ड्राइवर्स की हत्या का पर्दाफाश है. पुलिस को शक दर्जनों मिसिंग कैब ड्राइवर्स की हत्‍या को भी इस सीरियल किलर ने अपने गैंग के साथ अंजाम दिया है. सीरियल किलर और उसके तीन साथी रेंट पर कैब बुक करते थे फिर उत्तराखंड की पहाड़ियों में कैब ड्राइवर को पहले बेहोश करते थे. फिर उसका गला दबाकर हत्या कर लाश को उत्तराखंड के पहाड़ों से गहरी खाई में फेंक देते थे.

दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की टीम ने लगभग 25 साल से फरार चल रहे इस खतरनाक अपराधी को गिरफ्तार कर बड़ी कामयाबी हासिल की है. गिरफ्तार आरोपी की पहचान अजय लांबा उर्फ बंसी के रूप में हुई है, जो दिल्ली और उत्तराखंड में डकैती के दौरान हत्या के 4 मामलों में वांटेड था. पुलिस ने उसे घोषित भगोड़ा घोषित कर रखा था.

टैक्सी ड्राइवरों को बनाया था निशाना

पुलिस के मुताबिक अजय साल 2001 से अपने साथियों के साथ मिलकर दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड के अलग-अलग इलाकों में टैक्सी ड्राइवरों को निशाना बनाता था. ये लोग टैक्सी किराए पर लेकर सुनसान इलाकों में ले जाते, फिर ड्राइवर की हत्या कर गाड़ी लूट लेते और शव को पहाड़ी इलाकों में फेंक देते, ताकि कोई सबूत न बचे. लूटी गई गाड़ियां नेपाल में बेच दी जाती थीं.

अजय का आपराधिक इतिहास

अजय मूल रूप से दिल्ली के कृष्णा नगर इलाके का रहने वाला है और 1976 में पैदा हुआ था. उसने छठी क्लास के बाद स्कूल छोड़ दिया और किशोर अवस्था में ही अपराध की दुनिया में कदम रख दिया. विकासपुरी थाने में वह “बंसी” के नाम से घोषित बदमाश था. 1996 में उसने नाम बदलकर अजय लांबा कर लिया और बरेली, उत्तर प्रदेश में बस गया.
वह 1999 से 2001 के बीच दर्ज चार हत्या-डकैती के मामलों में आरोपी था. ये  केस दिल्ली के न्यू अशोक नगर, उत्तराखंड के हल्द्वानी, अल्मोड़ा और चंपावत में दर्ज हैं. पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, उस पर 1990 से पहले के कई चोरी, हथियार रखने जैसे मामले भी दर्ज हैं. 

नेपाल में रहा, गांजा तस्करी में भी जुड़ा

पुलिस टीम ने कई महीनों की मैन्युअल और तकनीकी निगरानी के बाद उसे दिल्ली से गिरफ्तार किया. पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि अजय 2008 से 2018 तक नेपाल में रहा. इसके बाद वह देहरादून आ गया और परिवार के साथ रहने लगा. साल 2020 से वह उड़ीसा से दिल्ली समेत देश के अन्य हिस्सों में गांजा सप्लाई करने वाले गिरोह से जुड़ गया. 2021 में NDPS एक्ट के तहत सागरपुर थाने में उसके खिलाफ केस दर्ज हुआ और 2024 में उड़ीसा के बेरहामपुर में एक ज्वेलरी शॉप डकैती के मामले में भी उसे गिरफ्तार किया गया था. इन दोनों मामलों में वह ज़मानत पर बाहर था, लेकिन किसी को अपनी असली पहचान और भगोड़े होने की बात नहीं बताई. फिलहाल पुलिस उससे आगे की पूछताछ कर रही है और केस की गहराई से जांच की जा रही है.

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