UPA ने कांग्रेस की वरिष्ठ नेता मार्ग्रेट अल्वा को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है. अल्वा विपक्ष की साझा प्रत्याशी होंगी. शनिवार को NDA ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल को जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया है. विपक्ष की तरफ से अल्वा के नाम की घोषणा के बाद अब इस पद के लिए धनखड़ और अल्वा के बीच सीधा मुकाबला है. बता दें कि उपराष्ट्रपति चुनाव 6 अगस्त को होना है.
घोषणा के तुरंत बाद, अल्वा ने ट्वीट कर कहा, " भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार के रूप में नामित होना एक विशेषाधिकार और सम्मान की बात है. मैं इस नामांकन को बड़ी विनम्रता के साथ स्वीकार करती हूं और विपक्ष के नेताओं को धन्यवाद देती हूं, उस विश्वास के लिए जो उन्होंने मुझ पर किया है."
It is a privilege and an honour to be nominated as the candidate of the joint opposition for the post of Vice President of India. I accept this nomination with great humility and thank the leaders of the opposition for the faith they've put in me.
— Margaret Alva (@alva_margaret) July 17, 2022
Jai Hind ????????
साल 1942 में 14 अप्रैल को जन्मी कांग्रेस नेता ने अगस्त 2014 में अपने कार्यकाल के अंत तक गोवा के 17वें राज्यपाल, गुजरात के 23वें राज्यपाल, राजस्थान के 20वें राज्यपाल और उत्तराखंड के चौथे राज्यपाल के रूप में काम किया है. वह पूर्व में कैबिनेट मंत्री के रूप में काम कर चुकी हैं. उन्होंने राजस्थान में पंजाब के राज्यपाल शिवराज पाटिल से पदभार ग्रहण किया, जो उस राज्य का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे थे.
राज्यपाल नियुक्त होने से पहले, वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में एक वरिष्ठ नेता थीं और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की संयुक्त सचिव थीं. उनकी सास वायलेट अल्वा 1960 के दशक में राज्यसभा की स्पीकर थीं.
अल्वा ने एक वकील के रूप में अपने काम को कल्याणकारी संगठनों में शामिल होने के साथ जोड़ा.ऐसे में वो यंग विमेन क्रिश्चियन एसोसिएशन की अध्यक्ष बनीं. उनकी एक प्रारंभिक भागीदारी करुणा एनजीओ के साथ थी, जिसकी स्थापना उन्होंने की थी, जो महिलाओं और बच्चों से संबंधित मुद्दों पर केंद्रित थी. उन्होंने 24 मई 1964 को निरंजन थॉमस अल्वा से शादी की, जिनसे उनकी एक बेटी और तीन बेटे हैं, जिनमें निरेत अल्वा भी शामिल हैं. दंपति गवर्नमेंट लॉ कॉलेज में छात्रों के रूप में मिले थे और उनके पति अब एक सफल निर्यात व्यवसाय संचालित करते हैं.
अल्वा वे 1969 में राजनीति में अपने पति और ससुर से प्रभावित होकर प्रवेश करने का निर्णय लिया. इसमें उनकी सास वायलेट अल्वा, जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सांसद थीं का भी काफी प्रभाव था. सन 1969 से पार्टी से जुड़ने के बाद वो विभिन्न पदों पर रहीं, कई जिम्मेदारियां संभाते हुए वो पार्टी की वफादार बनी रहीं.
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