सेविंग एकाउंट और एक से दो साल तक के फिक्स डिपॉज़िटों पर ब्याज़ दर घटाने के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के फैसले से सबसे ज़्यादा निराश सीनियर सिटिज़न हैं. जिनके पास उम्र के इस पड़ाव में कमाई का कोई दूसरी ज़रिया नहीं बचा है. वो चाहते हैं कि एसबीआई अपने फैसले पर पुनर्विचार करे.
आरसी कपूर अपनी पत्नी सुदेश के साथ पांच दशक से ज़्यादा समय से दिल्ली में रह रहे हैं. दोनों के एकाउंट स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की पार्लियामेंट स्ट्रीट ब्रांच में हैं. दोनों निराश हैं कि एसबीआई ने एक लाख तक के सेविंग एकाउंट के लिए ब्याज दर 3.5% से घटाकर 3.25% कर दी है. महंगाई दर इतनी ज़्यादा है कि बैंक में रखा ये पैसा अब बढ़ने के बजाय घटने लगा है. जीवन के इस पड़ाव में कमाई का कोई दूसरा ज़रिया भी नहीं. आरसी कपूर कहते हैं कि एसबीआई को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए.
सीनियर सिटिज़न सुदेश ने कहा कि ज़रूरत का सामान महंगा होता जा रहा है. प्याज़, टमाटर...घर चलाना मुश्किल हो रहा है. एनडीटीवी को एसबीआई के दफ्तर के बाहर निराश खड़े 86 साल के स्वर्णलाल कश्यप भी मिले. वे कहते हैं कि उनके जैसे सीनियर सिटीज़न के लिए ब्याज दर का घटना दोहरी मार के बराबर है.
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एसबीआई ने बुधवार को ऐलान किया कि एक लाख तक के सेविंग एकाउंटों के लिए ब्याज दर 3.5% से घटाकर 3.25% कर दी गई है. और एक से दो साल तक के फिक्स्ड डिपॉज़िट पर ब्याज दर 7% से घटाकर 6.9% कर दी गई है.
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एसबीआई के अधिकारी कहते हैं कि ब्याज दर बाज़ार के हालात और बैंक की लिक्विडिटी के आधार पर तय की गई है. एक ऐसे समय जब बाज़ार गिर रहा हो, अर्थव्यवस्था सुस्ती से मंदी की तरफ़ बढ़ती लग रही हो तो बैंक में सुरक्षित समझकर रखा गया पैसा भी धीरे-धीरे घटता जा रहा है. जिन बुज़ुर्गों की ज़िंदगी भर की कमाई बैंक में रखा पैसा ही है, वे अब कहां जाएं, किससे फ़रियाद करें.
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