बसपा प्रमुख मायावती ने अपना इस्तीफा राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी को सौंपा...
नई दिल्ली:
मानसून सत्र के दूसरे दिन यूपी के सहारनपुर में दलित विरोधी हिंसा को लेकर अपनी बात जल्द खत्म करने को कहे जाने से नाराज बसपा प्रमुख मायावती ने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने अपना इस्तीफा राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी को सौंप दिया. मायावती ने इस्तीफे देने की वजह को स्पष्ट करते हुए कहा कि मैं शोषितों, मजदूरों, किसानों और खासकर दलितों के उत्पीड़न की बात सदन में रखना चाहती थी. सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में जो दलित उत्पीड़न हुआ है, मैं उसकी बात उठाना चाहती थी, लेकिन सत्ता पक्ष के सभी लोग एक साथ खड़े हो गए और मुझे बोलने का मौका नहीं दिया गया.
बसपा प्रमुख मायावती ने कहा, मैं दलित समाज से आती हूं और जब मैं अपने समाज की बात नहीं रख सकती हूं, तो मेरे यहां होने का क्या लाभ है. मायावती के इस्तीफे के बाद सोशल मीडिया पर जमकर रिएक्शन आए. आइए ट्विटर पर आई कुछ प्रतिक्रियाओं पर नजर डालते हैं :
एक यूजर अनिल सिंह ने टिप्पणी करते हुए लिखा, अब उनके पास कोई 'राज' नहीं है और अब कोई सभा उन्हें नहीं चाहती है.
दरअसल बसपा सुप्रीमो मायावती के मंगलवार को राज्यसभा से इस्तीफे की घोषणा के बाद माना जा रहा है कि अब उनकी राज्यसभा में वापसी की राह आसान नहीं होगी. दरअसल मायावती की राज्यसभा सदस्यता 2018 में समाप्त होने वाली थी. उसके बाद वापस लौटने के लिए उनके पास अपेक्षित आंकड़ा नहीं है. इस बार यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा को महज 19 सीटें मिली हैं. इनकी बदौलत मायावती की वापसी संभव नहीं है.
एक अन्य यूजर कुमार ने लिखा, मायावती जानती..अपने दम पर राज्यसभा में वापसी आना सम्भव नही! इसीलिए इस्तीफा देकर ड्रामेबाजी कर रही,ताकि काम ठप हो, और झूठी सहानुभूति भी मिले.
मयंक सेठी लिखते हैं, मायावती की इस्तीफे की धमकी मात्र खिसयानी बिल्ली खम्बा नोचे वाली है. 19विधायकों के साथ कभी राज्यसभा सदस्य दुबारा नही बनेगी ड्रामा कर रही हैं.
मिश्रा द्वारिका ने कुछ इस तरह टिप्पणी की - मायावती की नौटंकी. इतने विधायक भी नही की इनकी पार्टी इनको ही राज्य सभा का सांसद चुन सके. नौटंकी में दिया इस्तीफा.
कुलदीप ने लिखा दलितो की देवी और दौलत की बेटी मायावती का राज्यसभा से इस्तीफा देना भारत राजनीति के स्वच्छता अभियान का पहला कदम है.
यूपी में दरकती सियासी जमीन के बीच मायावती के इस्तीफे की घोषणा को उनके बड़े सियासी पैंतरे के रूप में देखा जा रहा है. दरअसल बसपा की दरकती सियासी जमीन के बीच उनका इस्तीफा अहम माना जा रहा है. दरअसल मायावती को यह लगने लगा है कि बीजेपी की नजर बसपा के कोर वोट बैंक पर है. अबकी बार के राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए और यूपीए दोनों ने ही दलित कार्ड खेला है.
बसपा प्रमुख मायावती ने कहा, मैं दलित समाज से आती हूं और जब मैं अपने समाज की बात नहीं रख सकती हूं, तो मेरे यहां होने का क्या लाभ है. मायावती के इस्तीफे के बाद सोशल मीडिया पर जमकर रिएक्शन आए. आइए ट्विटर पर आई कुछ प्रतिक्रियाओं पर नजर डालते हैं :
एक यूजर अनिल सिंह ने टिप्पणी करते हुए लिखा, अब उनके पास कोई 'राज' नहीं है और अब कोई सभा उन्हें नहीं चाहती है.
#mayawati resigns from the #RajyaSabha now that she no longer has any Raj and for no Sabha wants her.#SwachhBharatAbhiyan #SwachhBharat
— Anil Singh (@AnilSoharu) July 18, 2017
दरअसल बसपा सुप्रीमो मायावती के मंगलवार को राज्यसभा से इस्तीफे की घोषणा के बाद माना जा रहा है कि अब उनकी राज्यसभा में वापसी की राह आसान नहीं होगी. दरअसल मायावती की राज्यसभा सदस्यता 2018 में समाप्त होने वाली थी. उसके बाद वापस लौटने के लिए उनके पास अपेक्षित आंकड़ा नहीं है. इस बार यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा को महज 19 सीटें मिली हैं. इनकी बदौलत मायावती की वापसी संभव नहीं है.
एक अन्य यूजर कुमार ने लिखा, मायावती जानती..अपने दम पर राज्यसभा में वापसी आना सम्भव नही! इसीलिए इस्तीफा देकर ड्रामेबाजी कर रही,ताकि काम ठप हो, और झूठी सहानुभूति भी मिले.
मयंक सेठी लिखते हैं, मायावती की इस्तीफे की धमकी मात्र खिसयानी बिल्ली खम्बा नोचे वाली है. 19विधायकों के साथ कभी राज्यसभा सदस्य दुबारा नही बनेगी ड्रामा कर रही हैं.
मिश्रा द्वारिका ने कुछ इस तरह टिप्पणी की - मायावती की नौटंकी. इतने विधायक भी नही की इनकी पार्टी इनको ही राज्य सभा का सांसद चुन सके. नौटंकी में दिया इस्तीफा.
मायावती की नौटंकी । इतने विधायक भी नही की इनकी पार्टी इनको ही राज्य सभा का सांसद चुन सके । नौटंकी में दिया इस्तीफा ।
— misra.dwarika@gmail. (@MisraDwarika) July 18, 2017
कुलदीप ने लिखा दलितो की देवी और दौलत की बेटी मायावती का राज्यसभा से इस्तीफा देना भारत राजनीति के स्वच्छता अभियान का पहला कदम है.
यूपी में दरकती सियासी जमीन के बीच मायावती के इस्तीफे की घोषणा को उनके बड़े सियासी पैंतरे के रूप में देखा जा रहा है. दरअसल बसपा की दरकती सियासी जमीन के बीच उनका इस्तीफा अहम माना जा रहा है. दरअसल मायावती को यह लगने लगा है कि बीजेपी की नजर बसपा के कोर वोट बैंक पर है. अबकी बार के राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए और यूपीए दोनों ने ही दलित कार्ड खेला है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं