सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को देशद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है. भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अगुवाई वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ मामले की सुनवाई कर रही है. सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से एसजी ने कहा कि हमने एक प्रस्ताव तैयार किया है. हम एक संज्ञेय अपराध को नहीं रोक सकते जो कि किया जाएगा. लेकिन हमने एक प्रोपोजल तैयार किया है. एफआईआर तभी दर्ज हो, जब एसपी स्तर के अधिकारी या उससे ऊपर के अधिकारी को लगता है कि देशद्रोह का आरोप लगाया जाना चाहिए. एसजी ने कहा कि आप निर्देश दे सकते हैं कि जमानत के आदेश पर शीघ्र निर्णय लिया जाए. लेकिन इससे परे एक ऐसे कानून पर बने रहना गलत होगा, जिसकी संवैधानिकता को पहले ही आंका जा चुका है. याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि हम इस प्रस्ताव का विरोध करते हैं.
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राजद्रोह में बंद लोग बेल के लिए कोर्ट जा सकते हैं. कोर्ट ने कहा है कि नई एफआईआर होती है तो वह कोर्ट जा सकते हैं. इसका निपटारा जल्द से जल्द कोर्ट करें. चीफ जस्टीस ने कहा है कि केंद्र सरकार कानून पर पुनर्विचार करेगी . पूरी खबर के लिए यहां क्लिक करें.
Sedition law: Centre tells Supreme Court that a cognizable offence cannot be prevented from being registered, staying the effect may not be a correct approach and therefore, there has to be a responsible officer for scrutiny, and his satisfaction is subject to judicial review. pic.twitter.com/j9pWGbdGkg
- ANI (@ANI) May 11, 2022
बुधवार को देशद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई जारी है. भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अगुवाई वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ मामले की सुनवाई कर रही है.