सुप्रीम कोर्ट (SC) ने सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए केंद्र सरकार से ऐसे मामलों से निपटने के लिए सख्त गाइडलाइन्स बनाने की बात कही है. SC ने सुनवाई के दौरान कहा कि व्यक्ति की निजता का संरक्षण करना सरकार की ही जिम्मेदारी है. कोई किसी को ट्रोल क्यों करे और झूठी जानकारी क्यों फैलाए. आखिर ऐसे लोगों की जानकारी जुटाने का हक क्यों नहीं है. बता दें कि SC ने यह बातें सोशल मीडिया अकाउंट को आधार से लिंक करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान कही. इस मामले पर जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की बेंच सुनवाई कर रही है. सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा कि इस मामले पर ना सुप्रीम कोर्ट और ना ही हाईकोर्ट फैसला दे सकता है. सरकार और आईटी डिपार्टमेंट इसे देखे और समस्या का हल तलाशे.
कोर्ट ने पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सूचित करने के लिए कहा था कि क्या वह सोशल मीडिया को विनियमित करने के लिए कुछ नीति तैयार करने और आधार के साथ सोशल मीडिया खातों को जोड़ने के लिए कोई भी कदम उठाने पर विचार कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया का दुरुपयोग खतरनाक हो गया है. समय आ गया है कि केंद्र सरकार इसमें दखल दे.
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मामले की सुनवाई के दौरान जिस्टस गुप्ता ने कहा कि आखिर किसी उपयोगकर्ता को सर्विस प्रोवाइडर से ये पूछने का हक क्यों नहीं है कि मैसेज कहां से शुरू हुआ. हमें इंटनेट की चिंता आखिर क्यों नहीं करनी चाहिए. मुझे लगता है कि हमें देश की चिंता करनी चाहिए. और अगर ऐसा है तो आज के दौर में हमारे पास सोशल मीडिया को लेकर कड़ी गाइडलाइन होनी चाहिए. मुझे लगता है कि हर किसी की निजता का संरक्षण करना चाहिए.जस्टिस गुप्ता ने सुवनाई के दौरान सवाल किया कि कोई मुझे ऑनलाइन ट्रोल करने और मेरे चरित्र के बारे में झूठ फैलाने में सक्षम क्यों हो? अगर सरकार अपने मामलों में निपट सकती है तो फिर किसी नागरिक को लेकर उसके पास क्या उपाय हैं?
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