बिक्रम सिंह मजीठिया को पंजाब हाईकोर्ट से NDPS एक्ट के तहत मिली जमानत को पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई करने वाले जस्टिस सूर्यकांत ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की चीफ जस्टिस (CJI) के पास भेजा है जो इस मामले में नई बेंच का गठन करेंगे. गौरतलब है कि अकाली दल नेता मजीठिया के खिलाफ चरणजीत सिंह चन्नी के कार्यकाल में पिछले साल 20 दिसंबर को एनडीपीएस एक्ट में मोहाली में एफआईआर दर्ज की गई थी, इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव लड़ने तक मजीठिया की गिरफ्तारी पर रोक लगाकर उन्हें बड़ी राहत दी थी.
पिछले साल 24 फरवरी को मतदान के बाद बिक्रम सिंह मजीठिया मजीठिया ने मोहाली की अदालत में आत्मसमर्पण किया था, इसके बाद उन्हें पटियाला जेल भेज दिया गया था. हालांकि बाद में उन्हें हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी, जिसके खिलाफ पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली है.
मजीठिया शिरोमणि अकाली दल (SAD) के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल के साले और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल के भाई हैं. उन्होंने अपनी जमानत याचिका में कहा था कि उन्हें निशाना बनाने की दुर्भावनापूर्ण मंशा से यह एफआईआर दर्ज कराई गई. एसएडी नेता ने कहा कि पंजाब की पिछली कांग्रेस सरकार ने 'अपने राजनीतिक विरोधियों से प्रतिशोध लेने के लिए सत्ता का दुरुपयोग करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.'' एसएडी ने मजीठिया के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने को 'राजनीतिक प्रतिशोध' करार दिया था. बता दें, राज्य में मादक पदार्थ रैकेट की जांच के बारे में 2018 में एक रिपोर्ट पेश की गई थी, जिसके आधार पर मजीठिया के खिलाफ एनडीपीएस अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था.
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