सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा है कि किसी को भी शादी के लिए झूठा वादा नहीं करना चाहिए फिर चाहे वो पुरुष हो या महिला. यहां तक कि महिला को भी झूठा वादा (False Marriage Promise) नहीं करना चाहिए. प्रधान न्यायाधीश (CJI) एसए बोबडे ने सवाल भी उठाया कि जब दो लोग पति और पत्नी के रूप में रह रहे होते हैं और पति क्रूर होता है तो क्या उनके बीच यौन संबंध को बलात्कार कहा जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को 8 हफ्ते तक गिरफ्तारी से राहत दी है, साथ ही कहा है कि आरोपी निचली अदालत में सबूत पेश करे और आरोपमुक्त होने की कोशिश करे.
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दरअसल सुप्रीम कोर्ट में CJI की बेंच यूपी के एक मामले की सुनवाई कर रही थी जिसमें बलात्कार के आरोपी विनय प्रताप सिंह ने FIR रद्द करने की याचिका दाखिल की थी. आरोपी के मुताबिक, दोनों दो साल तक संबंधों में थे लेकिन 2019 में उसने किसी ओर से शादी कर ली. इसके बाद महिला ने उसके खिलाफ FIR दर्ज करा दी थी. महिला ने आरोप लगाया कि आरोपी ने धोखे से उसकी सहमति ली और मनाली के एक मंदिर में शादी कर यौन संबंध बनाए जो कि बलात्कार है. याचिकाकर्ता ने यह कहते हुए SC का दरवाजा खटखटाया कि वह और महिला सहमति के आधार पर यौन संबंध बनाए हुए हैं. याचिकाकर्ता की वकील ने इस बात का खंडन किया कि दोनों की शादी हुई है. उनका कहना था कि वो सहमति से साथ में रह रहे थे. उन्होंने दावा किया कि महिला के संबंधों में खटास आने के बाद उसने FIR दर्ज की गई लेकिन अदालत ने कहा कि आरोपी अपनी याचिका वापस ले और आरोपमुक्त करने के लिए ट्रायल कोर्ट में सबूत पेश करे. साथ ही, पीठ ने उसकी गिरफ्तारी पर 8 सप्ताह के लिए रोक लगा दी.
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सुनवाई के दौरान, महिला की ओर से कहा गया कि आरोपी ने महिला से मनाली के एक मंदिर में शादी की थी. वह महिला के साथ रहता था और उसे बेरहमी से पीटता था, उन्होंने चोटों का मेडिकल सर्टिफिकेट भी दिखाया. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील विभा दत्ता मखीजा ने कहा कि बलात्कार के लिए कोई मामला नहीं बनता और महिला की इसमें सहमति थी, वो दोनों सहमति से साथ रह रहे थे. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने वकील की उस दलील पर आपत्ति जताई कि महिला अभ्यस्त है और कार्यालय में दो अन्य लोगों के साथ ऐसा ही किया है. CJI ने कहा कि आप जानते हैं कि न्यायालयों ने बलात्कार पीड़ितों को अभ्यस्त बुलाने के बारे में क्या कहा है? हम आपको सुझाव देते हैं कि सबूत पेश कर आप आरोपमुक्त होने के आवेदन पर आगे बढ़े, इससे आपको एक अच्छा फैसला मिल सकता है. हम FIR रद्द नहीं करना चाहते. इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी एफआईआर पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.
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