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EXCLUSIVE: संजीव बालियान ने कांस्टीट्यूशन क्लब चुनाव में 'वोट चोरी' का लगाया आरोप

संजीव बालियान ने कहा कि पहले बताया गया कि 269 वोट पड़े हैं लेकिन बाद में ये संख्या बढ़ गई. उनका आरोप है कि मतदाता सूची में कई मृत सांसदों के भी नाम थे.

EXCLUSIVE: संजीव बालियान ने कांस्टीट्यूशन क्लब चुनाव में 'वोट चोरी' का लगाया आरोप
  • कंस्टीट्यूशन क्लब के चुनाव में बीजेपी के राजीव प्रताप रूडी विजयी हुए लेकिन चुनाव में वोट चोरी का आरोप लगा है
  • पूर्व सांसद संजीव बालियान ने चुनाव में मृत सांसदों के नाम पर भी वोट डाले जाने का संदेह जताया है
  • इस चुनाव में जाट बनाम राजपूत लॉबी की राजनीति भी सामने आई और राजपूत लॉबी ने रूडी को समर्थन दिया
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नई दिल्ली:

कंस्टीट्यूशन क्लब का चुनाव भले बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी जीत चुके हैं लेकिन इस चुनाव को लेकर विवाद है कि थमने का नाम नहीं ले रहा. अब इस चुनाव में बीजेपी के दूसरे प्रत्याशी रहे पूर्व सांसद संजीव बालियान ने एक बड़ा दावा करते हुए सभी चौंका दिया है. उन्होंने शुक्रवार को कहा कि इस चुनाव में 'वोटों की चोरी' हुई है. इसके लिए उन्होंने अपने तर्क भी दिए हैं. 

उनका कहा कि पहले बताया गया कि 629 वोट पड़े , फिर घंटे भर बाद 40 वोट और बढ़ गए. कम से कम दो सांसद , कांग्रेस के पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह और बसपा पूर्व सांसद राजाराम के वोट किसी और ने दे दिए. मतदाता सूची में कई मृत सांसदों के भी नाम थे , ये नहीं पता कि उनके नाम पर वोट पड़ा या नहीं. मैं तो ख़ुद मांग कर रहा हूं कि देशभर में SIR होना चाहिए, पीएम से अपील करता हूं कि देशभर में SIR करवाया जाए. पार्टी के स्तर पर चुनाव नहीं होना चाहिए था लेकिन कांग्रेस ने अपने सांसदों पर दबाव डाला कि रूडी को वोट दें.

आपको बता दें कि इस चुनाव में बीजेपी के ही राजीव प्रताप रूडी और संजीव बालियान आमने-सामने थे.यह भी पहली बार नहीं था कि एक ही पार्टी के दो नेताओं के बीच मुकाबला हुआ हो. पहले भी रामनाथ कोविंद,विजय गोयल जैसे नेता क्लब का चुनाव लड़ते रहे हैं और हारे भी हैं. मगर इस बार का चुनाव सुर्ख़ियों में रहा उसका मुख्य कारण था कि इस चुनाव में संजीव बालियान को सरकार के सर्मथन वाला उम्मीदवार के तौर पर देखा गया, जिसकी वजह से राजीव प्रताप रूडी को विपक्षी दलों का पूरा साथ मिला था.

बीजेपी में बालियान की उम्मीदवारी के बाद कई तरह की चर्चाएं होने लगी थीं यह चुनाव जाट बनाम राजपूत लॉबी भी बन गया. यही वजह है कि रूडी की जीत के बाद देर रात जय सांगा के नारे भी लगे,राजपूत लॉबी ने एकजुट हो कर रूडी को वोट किया.राजस्थान सरकार के एक मंत्री तो जयपुर से दिल्ली आए केवल वोट डालने के लिए यही हाल बिहार और उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के सांसदों का भी रहा.

कहा जा रहा था कि राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी भी इस चुनाव पर नजर बनाए हुए थे.कांस्टीट्यूशन क्लब के इस चुनाव में कांग्रेस और विपक्ष रूडी के पक्ष में खड़ा हो गया सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे सबसे पहले वोट डालने वालों में थे.क्लब के 11 कार्यकारी सदस्यों के पैनल में भी रूडी ने सभी दलों और सभी राज्यों का ख्याल रखा था जैसे कार्यकारिणी के सदस्यों में सपा के अक्षय यादव थे तो कुछ दक्षिण के नेता भी थे, जिससे इन पार्टियों और राज्यों के सांसदों और पूर्व सांसदों का वोट भी रूडी पैनल को मिला जबकि बलियान का कोई पैनल नहीं था. वो अकेले सचिव पद के लिए लड़ रहे थे.

क्यों की गई थी कांस्टीट्यूशन क्लब की स्थापना

ये जानना भी बेहद जरूरी है कि आखिर कांस्टीट्यूशन क्लब की स्थापना क्यों की गई थी. इस क्लब की स्थापना का एक खास मकसद था. दरअसल, भारतीय संविधान सभा के सदस्यों के सामाजिक मेल-जोल बढ़ाने और क्लब जीवन की सुविधाएं देने के उद्देश्य से इस क्लब की स्थापना फरवरी 1947 में की गई थी. आजादी के बाद इसे सांसदों के क्लब के रूप में मान्यता मिली. इसकी औपचारिक उद्घाटन  1965 में राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने किया था. यह देश की राजधानी दिल्ली में संसद के पूर्व और वर्तमान  सदस्यों के मेलजोल का अवसर देता है. इस समय करीब 1300 पूर्व और वर्तमान संसद सदस्य इस क्लब के सदस्य हैं.  इनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह,रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी का नाम इसके सदस्यों में शामिल हैं. 

शुरू में यह क्लब बहुत सक्रिय नहीं रहा. लेकिन 1998-99 के दौरान तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष जीएमसी बालयोगी ने एक विजन कमेटी का गठन किया था. इसी कमेटी ने इस क्लब का कायाकल्प किया. बिहार के सारण से सात बार के सांसद बीजेपी नेता राजीव प्रताप रूडी को इस क्लव का सचिव (प्रशासन) नामित किया गया था. यूपीए सरकार में लोकसभा अध्यक्ष रहे वामपंथी नेता सोमनाथ चटर्जी के कार्यकाल में क्लब में चुनाव आधारित व्यवस्था की शुरुआत की गई. दो अगस्त 2008 को क्लब के बायलॉज को स्वीकृति मिली. इसके बाद 18 फरवरी 2009 को इसके गवर्निंग काउंसिल का पहला चुनाव कराया गया.

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