शिमला के संजौली में मस्जिद के अवैध निर्माण को तोड़ने का काम आज शुरू हो गया है. इस मस्जिद के 5 में से 3 मंजिल को तोड़ने के लिए शिमला नगर निगम कमिश्नर 5 अक्टूबर को आदेश दिया था. इसके बाद संजौली मस्जिद कमेटी ने बक्फ बोर्ड से मस्जिद को तोड़ने की अनुमति मांगी और धवस्तीकरण का काम शुरू कर दिया गया है.
कमेटी के पास फंड की कमी
संजौली मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ का कहना है कि शिमला में हिन्दू, मुस्लिम भाईचारा बना रहे है. इसलिए हमने खुद नगर निगम कमिश्नर को लिखकर दिया कि हमें मसजिद को तोड़ने की अनुमति दी जाए तो उस पर नगर निगम कमिश्नर की कोर्ट ने आदेश दिए उसके बाद हमने हिमाचल बक्फ बोर्ड से अनुमति मांगी और आज इसकी 3 अवैध मंजिल को तोड़ने का काम शुरू किया कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि कमेटी के पास फंड की कमी है. इसलिए काम मे तेजी नहीं है.
हिन्दू संगठनों का ये है आरोप
वहीं, हिन्दू संगठनों ने मस्जिद की 3 अवैध मंजिल को तोड़ने की रफ्तार पर सवाल उठाए है. देवभूमि संघर्ष समिति के संयोजक भारत भूषण ने कहा कि मस्जिद को तोड़ने के काम तेजी नहीं हो रहा है. मस्जिद कमेटी के फंड न होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि जब मस्जिद निर्माण हुआ था तब फंड कंहा से आए. पूरे मामले पर हमारी नजर है.
'ये इतिहास में पहली बार हुआ...'
संजौली मस्जिद को तोड़ने के पर हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि ये इतिहास में पहली बार हुआ है. कोई समुदाय खुद आगे आकर फैसला के रहा है कि अवैध कब्जे को तोड़ा जाए. इसलिए मस्जिद को तोड़ने का काम शुरू हुआ है. हिमाचल में सभी धर्मों-जातियों को रहने और सोहदपूर्ण तरीके से काम करने का अधिकार है.
संजौली मस्जिद तोडने पर शहरी विकास मंत्री विक्रमदित्य सिंह ने कहा कि कानूनी प्रक्रिया के तहत मस्जिद के अवैध हिस्से को तोड़ा जा रहा है. यदि गिराने के लिए मस्जिद कमेटी को फंड की समस्या है तो कोर्ट को जानकारी दिया जाए. हिमाचल जैसे शांति प्रिय राज्य की शांति बनाएं रखने के लिए ये बेहतर पहल है.
इधर, संजौली मस्जिद विवाद अब हिमाचल हाईकोर्ट पहुंच गया है. हाईकोर्ट ने शिमला नगर निगम कमिश्नर से 8 हफ्ते के भीतर मामले पर निपटारा करने के आदेश दिए हैं. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में संजौली के लोकल रेजिडेंट्स की तरफ से एक याचिका याचिका दाखिल की गई थी. याचिका पर हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने सुनवाई की.न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने मामले में नगर निगम कमिश्नर को निर्देश दिए हैं कि वो 8 हफ्ते के भीतर इस पर फैसला करें.
संजौली के स्थानीय नागरिकों की तरफ से हाईकोर्ट में दाखिल की गई याचिका में आग्रह किया गया था कि अदालत नगर निगम कमिश्नर को इस अवैध निर्माण के 2010 से चल रहे मामले का निपटारा समयबद्ध करने के निर्देश दें. स्थानीय नागरिकों ने वर्ष 2010 में नगर निगम के समक्ष शिकायत की थी कि संजौली मस्जिद में बिना अनुमति और बिना नक्शा पास करवाए अवैध निर्माण हो रहा है. उसी मामले में हाईकोर्ट ने आठ सप्ताह में प्रोसीडिंग्स पूरी करने का आदेश दिया है.
संजौली लोकल रेजिडेंट्स की तरफ से मामले में एडवोकेट जगतपाल ठाकुर पेश हुए थे. उन्होंने बताया कि शनिवार 19 अक्टूबर को हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी. याचिका में संजौली मस्जिद के अवैध निर्माण के मामले को समयबद्ध तरीके से निपटारे के आदेश नगर निगम कमिश्नर को जारी करने का आग्रह किया गया था.
क्या है पूरा मामला?
गौरतलब हैं कि शिमला के संजौली मस्जिद का विवाद 2010 से चल रहा है. शिमला के नगर निगम से कई बार नोटिस भी हुए 45 से ज्यादा मामले में पेशी हुई. लेकिन मामले ने तूल तब पकड़ा, जब कुछ मुस्लिम समुदाय के युवकों ने हिदू समुदाय के युवक की पिटाई की और मुस्लिम युवक मस्जिद में छुप गए थे. उसके बाद हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन किए. 5 अक्टूबर के दिन सुनवाई के बाद नगर निगम कमिश्नर की कोर्ट ने आदेश दिए और 21 दिसंबर तक मस्जिद के अवैध निर्माण को तोड़ने के आदेश दिए गए हैं.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं