उच्चतम न्यायालय के सफाई कर्मचारी अब ‘जमादार' नहीं, बल्कि ‘सुपरवाइजर' कहे जाएंगे. भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कुछ पदों के नाम बदलने का फैसला करते हुए कहा कि ये (शब्द) ‘औपनिवेशिक मानसिकता' को प्रतिबिंबित करते हैं, जिसका आधुनिक समाज में कोई स्थान नहीं है.
वहीं, सीजेआई ने 'सुप्रीम कोर्ट स्पोर्ट्स, कल्चरल एंड अदर इवेंट्स- 2023' का उद्घाटन करते हुए कहा कि इन कार्यक्रमों के आयोजन का उद्देश्य कर्मचारियों के लिए जीवन की समग्र पद्धति को प्रोत्साहित करना और उनके शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा देना है.
इस स्पर्धा में शीर्ष अदालत के 970 कर्मचारी भाग लेंगे. शीर्ष अदालत ने एक बयान में कहा कि इसमें 12 खेल और नौ सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कर्मचारियों के लिए नियोजित किए जा रहे कुछ कल्याणकारी उपायों का भी उल्लेख किया, जिनमें एक बड़ा और बेहतर सुसज्जित क्रेच, एक प्रशिक्षण केंद्र और एक स्टाफ पुस्तकालय शामिल हैं.
उन्होंने कुछ निर्दिष्ट पदों के नाम बदलने के अपने हाल के प्रशासनिक निर्णयों का भी उल्लेख किया. प्रधान न्यायाधीश ने महिला कर्मचारियों को इन खेल आयोजनों में भाग लेने के लिए काफी प्रोत्साहित किया और कहा कि वे (महिलाएं) अपने पुरुष समकक्षों से कतई कम नहीं हैं.
सीजेआई ने कैरम में पहला स्ट्राइक करके कार्यक्रम का उद्घाटन किया. शीर्ष अदालत के महासचिव संजीव कलगांवकर ने भी उद्घाटन समारोह में अपने विचार व्यक्त किये.
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