विज्ञापन
Story ProgressBack
This Article is From Oct 17, 2023

"भेदभाव न किया जाए": समलैंगिकों के अधिकारों पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, राज्य सरकारों को दिये निर्देश

प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने पुलिस को समलैंगिक जोड़े के संबंधों को लेकर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया. साथ ही कहा कि समलैंगिकता प्राकृतिक होती है, जो सदियों से जानी जाती है, इसका केवल शहरी या अभिजात्य वर्ग से संबंध नहीं है.

Read Time: 3 mins

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसले में कहा कि समलैंगिकों के लिए कमेटी बनाई जाए

नई दिल्‍ली:

सुप्रीम कोर्ट ने आज समलैंगिक विवाह को मान्‍यता देने से इनकार करते हुए कहा कि ये उनके अधिकार क्षेत्र का विषय नहीं है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र और राज्‍य सरकारों को कुछ निर्देश जारी किये हैं, ताकि समलैंगिक भी समाज में सम्‍मान से जीवन व्‍यतीत कर सकें. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि समलैंगिक लोगों के साथ उनके यौन रुझान के आधार पर भेदभाव न किया जाए.

हॉटलाइन बनाने का निर्देश

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने सरकार को समलैंगिक अधिकारों के बारे में जनता को जागरूक करने और उनके लिए एक हॉटलाइन स्थापित करने का निर्देश देते हुए कहा कि समलैंगिकता प्राकृतिक होती है, जो सदियों से जानी जाती है. इसका केवल शहरी या अभिजात्य वर्ग से संबंध नहीं है. ऐसे लोग किसी भी वर्ग में हो सकते हैं. 

पुलिस स्टेशन में बुलाकर उत्पीड़न नहीं

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने पुलिस को किसी समलैंगिक जोड़े के खिलाफ उनके रिश्ते को लेकर एफआईआर दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा, "केवल उनकी यौन पहचान के बारे में पूछताछ करने के लिए समलैंगिक समुदाय को पुलिस स्टेशन में बुलाकर कोई उत्पीड़न नहीं किया जाएगा. समलैंगिक समुदाय के लोगों को अपने परिवार के पास लौटने या किसी हार्मोनल थेरेपी से गुजरने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है. उन्होंने सरकार से यह सुनिश्चित करने को भी कहा कि अंतर-लिंगीय बच्चों को लिंग परिवर्तन ऑपरेशन के लिए मजबूर नहीं किया जाए. 

ये भी पढ़ें:-सेम सेक्स मैरिज को दुनिया के 34 देशों में दी गई मान्यता, इन 22 देशों में बना कानून

बदलाव करना संसद का काम

सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने आज समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अदालत कानून नहीं बना सकती, बल्कि केवल उसकी व्याख्या कर सकती है. विशेष विवाह अधिनियम में बदलाव करना संसद का काम है. उन्होंने कहा, "विशेष विवाह अधिनियम की व्यवस्था में बदलाव का फैसला संसद को करना है. इस अदालत को विधायी क्षेत्र में दखल न देने के प्रति सावधान रहना चाहिए."

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि वह समान-लिंग वाले जोड़ों की राशन कार्ड, पेंशन, ग्रेच्युटी और उत्तराधिकार के मुद्दों जैसी व्यावहारिक चिंताओं को दूर करने के लिए एक समिति के गठन की दिशा में आगे बढ़े.

ये भी पढ़ें:- "कानून यह नहीं मान सकता कि सिर्फ होमोसेक्सुअल जोड़े ही अच्छे माता-पिता हो सकते हैं": CJI

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Previous Article
"संविधान की प्रति लेकर घूमने वालों ने किया था संविधान दिवस मनाने का विरोध" : पीएम मोदी
"भेदभाव न किया जाए": समलैंगिकों के अधिकारों पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, राज्य सरकारों को दिये निर्देश
सैन्य इतिहास में पहली बार : स्कूल के सहपाठी दो दोस्त एक साथ भारतीय सेना और नौसेना के प्रमुख बनेंगे
Next Article
सैन्य इतिहास में पहली बार : स्कूल के सहपाठी दो दोस्त एक साथ भारतीय सेना और नौसेना के प्रमुख बनेंगे
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com
;