समलैंगिक विवाह को मान्यता देने वाली याचिकाओं पर दिए गए ऐतिहासिक आदेश में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यूनियन में शामिल होने के अधिकार पर यौन दिशा-निर्देशों के आधार पर प्रतिबंधि नहीं लगाया जा सकता. उन्होंने फैसला सुनते हुए कहा कि समलैंगिक जोड़े (Same Sex Marriage) और अविवाहित जोड़े बच्चा गोद ले सकते हैं. जब कि जस्टिस एस रवींद्र भट, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पी एस नरसिम्हा ने बहुमत से फैसला दिया है कि समलैंगिक लोग बच्चा गोद नहीं ले सकते हैं. वहीं सीजेआई ने कहा कि कानून यह नहीं मान सकता कि सिर्फ विषमलैंगिक जोड़ा ही एक बच्चे को स्थिरता प्रदान कर सकता है. विषमलैंगिक जोड़े ही अच्छे माता-पिता हो सकते हैं, ऐसा करना दूसरी यूनियन के साथ भेदभाव होगा.
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'समलैंगिक लोग बच्चा गोद नहीं से सकते'
समलैंगिक लोग बच्चा गोद नहीं ले सकते. 3:2 के बहुमत से यह फैसला जस्टिस एस रवींद्र भट, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पी एस नरसिम्हा ने दिया है. जबकि CJI डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस संजय किशन कौल का यह अल्ममत का फैसला है.
गोद लेने के अधिकार पर CJI की टिप्पणी
चीफ जस्टिस ने गोद लेने के लिए केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण के दिशानिर्देशों का जिक्र करते हुए कहा कि किशोर न्याय अधिनियम अविवाहित जोड़ों को बच्चा गोद लेने से नहीं रोकता. भारतीय संघ ने भी यह साबित नहीं किया है कि ऐसा करना बच्चे के सबसे ज्यादा हित में है. इसीलिए CARA विनियमन 5(3) अप्रत्यक्ष रूप से असामान्य यूनियनों के खिलाफ भेदभाव करता है. सीजेआई ने कहा कि विवाहित जोड़ों और अविवाहित जोड़ों के बीच अंतर करने का बच्चे के सर्वोत्तम हितों को सुनिश्चित करने वाले CARA के उद्देश्य के साथ कोई खास संबंध नहीं है. CJI ने कहा कि उत्तरदाताओं ने यह दिखाने के लिए रिकॉर्ड पर कोई डेटा नहीं रखा है कि सिर्फ विवाहित जोड़े ही स्थिरता प्रदान कर सकते हैं. यह ध्यान दिया गया है कि विवाहित जोड़े से अलग होना प्रतिबंधात्मक है, क्योंकि यह कानून द्वारा विनियमित है, लेकिन अविवाहित जोड़े के लिए ऐसा नहीं है.
घर की स्थिरता कई कारकों पर निर्भर-CJI
सीजेआई ने कहा घर की स्थिरता कई कारकों पर निर्भर करती है, जिससे स्वस्थ कार्य जीवन संतुलन बनता है और स्थिर घर की कोई एक परिभाषा नहीं है और हमारे संविधान का बहुलवादी रूप विभिन्न प्रकार के संघों का अधिकार देता है.
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि CARA विनियमन 5(3) अप्रत्यक्ष रूप से असामान्य यूनियनों के खिलाफ भेदभाव करता है. उन्होंने कहा कि एक समलैंगिक व्यक्ति केवल व्यक्तिगत क्षमता में ही बच्चे को गोद ले सकता है. आर्टिकल 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव पर रोक लगाता है.
CJI ने जस्टिस एस रवींद्र भट्ट के फैसले से जताई असहमति
मामले की सुनवाई कर रही पांच जजों की बेंच में जस्टिस संजय किशन कौल, एस रवींद्र भट, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा शामिल रहे. इस मुद्दे पर चार फैसले हैं और चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि वह जस्टिस एस रवींद्र भट्ट के फैसले से असहमत हैं. उन्होंने कहा कि जस्टिस भट्ट के फैसले के उलट उनके फैसले में दिए गए निर्देशों का परिणाम किसी संस्था का निर्माण करना नहीं है बल्कि संविधान के भाग-3 के तहत मौलिक अधिकारों को प्रभावी बनाना है.
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