"बहुत मजेदार है आपकी कुर्सी, बिल्कुल झूले की तरह...": राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ से बोलीं जया बच्चन

महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा के दौरान सभापति धनखड़ ने कई महिला सांसदों को अपने आसन पर बैठने का मौका दिया था. इसी क्रम में जया बच्चन भी कुछ देर के लिए सभापति की कुर्सी पर बैठी थीं.

महिला आरक्षण बिल पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए राज्यसभा में जया बच्चन को सभापति की कुर्सी पर बैठने का मौका मिला.

नई दिल्ली:

संसद के विशेष सत्र के दौरान गुरुवार को राज्यसभा में 'महिला आरक्षण बिल' (Women's Reservation Bill)लंबी चर्चा के बाद पास हो गया. इससे पहले बिल पर चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी से सांसद जया बच्चन (Jaya Bachchan) ने उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankar) की कुर्सी पर अपने ही अंदाज में चुटकी ली. महिलाओं के आरक्षण (Women's Quota Bill)के मुद्दे पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए राज्यसभा में जया बच्चन को सभापति की कुर्सी पर बैठने का मौका मिला. इस दौरान जया बच्चन ने कहा, "सभापति महोदय आपकी कुर्सी बहुत मजेदार है." उन्होंने कहा, "सभापति महोदय आपकी चेयर झूले की तरह आगे-पीछे होती रहती है."

दरअसल, महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा के दौरान सभापति धनखड़ ने कई महिला सांसदों को अपने आसन पर बैठने का मौका दिया था. इसी क्रम में जया बच्चन भी कुछ देर के लिए सभापति की कुर्सी पर बैठी थीं. कुर्सी पर बैठने के लिए जया बच्चन ने कहा, ‘मैं सबसे पहले आपका (सभापति) धन्यवाद करना चाहती हूं कि आपने मुझे अपनी उस कुर्सी पर बैठने का मौका दिया. आपकी कुर्सी बड़ी मजेदार है. वहां बैठो तो वह झूले की तरह आगे-पीछे होती रहती है. तभी मुझे समझ आया कि क्यों आप उस कुर्सी पर लंबे समय तक बैठते हैं.'

जया बोलीं- ‘आखिर में बोलने के नुकसान बहुत हैं..'
राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान सपा सांसद जया बच्चन ने कहा, "आखिर में बोलने के नुकसान बहुत हैं. कुछ बोलने को बचा ही नहीं." जया की इस बात पर जगदीप धनखड़ ने भी शायराना अंदाज में कहा, ‘इतने हिस्से में बंट गया हूं मैं कि मेरे हिस्से कुछ बचा ही नहीं..' इस पर जया बच्चन के साथ पूरा सदन ठहाकों से गूंज उठा.

संसद के विशेष सत्र में पास हुआ बिल
केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया था. 20 सितंबर को लोकसभा में 7 घंटे की चर्चा के बाद यह बिल पास हो गया. इसके पक्ष में 454 और विरोध में 2 वोट पड़े. 21 सितंबर को बिल राज्यसभा में पेश हुआ. सदन में मौजूद सभी 214 सांसदों ने बिल का समर्थन किया और बिल पास हो गया. वहीं, 22 सितंबर को खत्म होने वाल ये विशेष सत्र 21 सितंबर को राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल के पास होते ही खत्म हो गया.

क्या है ये बिल?
महिला आरक्षण बिल को मोदी सरकार ने ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक' नाम दिया है. इस विधेयक में कहा गया है कि लोकसभा, सभी राज्यों की विधानसभा और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधानसभा में ‘यथांसभव एक तिहाई सीटें' (33%) महिलाओं के लिए आरक्षित होगीं. यानी अगर लोकसभा में 543 सीटें हैं, तो इनमें से 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी. इन सीटों पर सिर्फ महिला उम्मीदवार ही चुनाव लड़ सकेंगी. 

फिलहाल 15 साल के लिए मिलेगा आरक्षण
लोकसभा और विधानसभाओं में यह कानून जब लागू हो जाएगा, उसके बाद 15 साल तक रहेगा. उससे आगे रिजर्वेशन जारी रखने के लिए फिर से बिल लाना होगा और मौजूदा प्रक्रियाओं के तहत उसे पास कराना होगा. अगर 15 साल के बाद उस समय की सरकार नया बिल नहीं लाती है, तो ये कानून अपने आप खत्म हो जाएगा.
 

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