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This Article is From Jul 23, 2020

कोरोज़न रेसिस्टेंट स्टील के तकनीकी विकास के क्षेत्र में SAIL को मिली बड़ी सफलता

स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के सेलम इस्पात संयंत्र ने एस एस 32205 ग्रेड का हाईली कोरोज़न रिज़िस्टन्ट सुपर डुप्लेक्स स्टेनलेस स्टील विकसित करने की क्षमता हासिल की है. 

कोरोज़न रेसिस्टेंट स्टील के तकनीकी विकास के क्षेत्र में SAIL को मिली बड़ी सफलता
सेल को मिली बड़ी सफलता,
नई दिल्ली:

स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) के सेलम इस्पात संयंत्र ने एस एस 32205 ग्रेड का हाईली कोरोज़न रेसिस्टेंट सुपर डुप्लेक्स स्टेनलेस स्टील विकसित करने की क्षमता हासिल की है. जो कोरोज़न रेसिस्टेंट स्टील के तकनीकी विकास के क्षेत्र में एक बड़ी सफलता है. सेल इस ग्रेड का स्टील विकसित करने वाले देश का प्रमुख इस्पात उत्पादकों में से एक है. अभी तक स्टेनलेस स्टील का यह ग्रेड मुख्य रूप से आयात किया जाता है. यह सुपर डुप्लेक्स स्टेनलेस स्टील बेहद मजबूत और टिकाऊ होने के साथ ही हाईली कोरोज़न रेसिस्टेंट भी है.

इसकी हाईली कोरोज़न रेसिस्टेंट विशेषताओं के कारण, इसका उपयोग कोरोज़न प्रभावित क्षेत्रों की विभिन्न जरूरतों और निर्माण जैसे केमिकल प्रोसेसिंग इक्विपमेंट (परिवहन और भंडारण, प्रेशर वेसेल्स, टैंक, पाइपिंग और हिट एक्सॉस्ट) में किया जा सकता है. तेल और गैस की खोज (प्रोसेस उपकरण, पाइप, ट्यूबिंग, समुद्री और अन्य उच्च क्लोराइड वातावरण), लुगदी और कागज उद्योग (डाइजेस्टर और ब्लीचिंग उपकरण), खाद्य प्रसंस्करण उपकरण और जैव ईंधन संयंत्र में प्रभावी तरह से किया जा सकता है. इन सभी जरूरतों के लिए में हाईली कोरोज़न रिज़िस्टन्ट के साथ मजबूत स्टील की आवश्यकता होती है.  जो 3% मोलिब्डेनम से युक्त सुपर डुप्लेक्स स्टेनलेस स्टील (एसएस 32205 ग्रेड) द्वारा पूरा किया जा सकता है. इससे पहले, सेल – सेलम संयंत्र ने 0.4% मोलिब्डेनम से युक्त डुप्लेक्स स्टेनलेस स्टील (SS 32202 ग्रेड) का विकास किया था. जो पूरी तरह से ऑर्डर पूरा कर रहा है. सेल सुपर डुप्लेक्स स्टेनलेस स्टील (एसएस 32205 ग्रेड) का उत्पादन करने की नई क्षमता के साथ. सेल ने अपने प्रोडक्ट बॉस्केट को और अधिक समृद्ध किया है. इससे सेल देश की हाई एंड स्टील की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होगा.

इस नए ग्रेड में करोज़न रेसिस्टेंट, मजबूती और टिकाऊपन जैसे बेहतर गुण स्टील में मौजूद क्रोमियम, मोलिब्डेनम और नाइट्रोजन से आते हैं. इस स्टेनलेस स्टील में दबाव सहन करने की उच्च शक्ति है, जो ऑस्टेनिटिक स्टील से करीब – करीब दुगनी है, जो इसी मजबूती के साथ पतले गेज में उपयोग करने के लिए लचीलापन या सहनशक्ति प्रदान करता है.

सलेम स्टील प्लांट का सेल का एक विशेष संयंत्र है, जो गुणवत्ता वाले स्टेनलेस स्टील के उत्पादन में माहिर है. सेलम स्टील प्लांट द्वारा विकसित यह नया ग्रेड औस्टेनाइटिक और फेरिटिक के औसतन समान अनुपात अनुपात के दो फेज की धातु संरचना है, जिसे जिसे बेहतर क्लोराइड स्ट्रेस कोरिज़न और क्लोराइड पीटिंग कोरिज़न प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.

इस उपलब्धि पर टिप्पणी करते हुए सेल के अध्यक्ष अनिल कुमार चौधरी ने कहा, “सेल ने भारत सरकार के ''आत्मनिर्भर भारत” और “लोकल फॉर वोकल” अभियान से प्रेरित होकर ऐसे स्टील के विकास में लगातार लगा हुआ है, जो इन अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. इस हाई-एंड-ग्रेड का विकास इसी दिशा में एक प्रयास है. हम "मेकिंग इन इंडिया" और "मेकिंग फॉर इंडिया" में सक्रिय रूप से भागीदारी निभाने और जो देश के बुनियादी ढांचे के विस्तार के लिए आवश्यक इस्पात की आपूर्ति करने के लिए तैयार हैं.

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