सचिन तेंदुलकर (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
क्रिकेटर से राज्यसभा सदस्य बने सचिन तेंदुलकर ने मंगलवार को पुष्टि की कि उन्होंने उस बैठक में हिस्सा लिया था, जिसमें उन्होंने मसूरी में अपने दोस्त के आवास के संबंध में हो रही परेशानियों को सुलझाने में मदद का आग्रह किया था। इस संबंध में प्रकाशित रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया देते हुए तेंदुलकर के प्रवक्ता ने बयान जारी किया है। इसमें दावा किया गया है कि लैंढोर कैंट में स्थित इस भूमि में सचिन के किसी तरह के आर्थिक हित नहीं हैं। बयान में यह नहीं बताया गया है कि तेंदुलकर ने सरकार में किसके साथ मुलाकात की थी।
इसमें कहा गया है, ‘‘तेंदुलकर ने बैठक में हिस्सा लिया, जिसके बाद उन्होंने (अपने मित्र) नारंग के लैंढोर में बने आवास के संबंध में लंबित विवाद को लेकर रक्षा मंत्रालय से लिखित आग्रह किया था।’’ रिपोर्टों में कहा गया है कि तेंदुलकर जब रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से मिले थे, तो उन्होंने व्यवसायी संजय नारंग की तरफ से डीआरडीओ के करीब स्थित भूमि को लेकर चल रहे सुरक्षा विवाद को सुलझाने के लिए हस्तक्षेप करने की कोशिश की थी।
तेंदुलकर के एक प्रवक्ता ने कहा है कि उनके नारंग के साथ किसी तरह के व्यावसायिक संबंध नहीं हैं। नारंग लैंढोर स्थित संपति 'डहलिया बैंक' के मालिक हैं, जिस पर कथित रूप से निर्माण संबंधी नियमों का उल्लंघन करने का आरोप है। बयान में कहा गया है, ‘‘सचिन तेंदुलकर के संजय नारंग के साथ वर्तमान में कोई व्यावसायिक संबंध नहीं हैं और उनके लैंढोर कैंट से किसी तरह के आर्थिक हित नहीं जुड़े हैं।’’
नारंग ने अपनी तरफ से किसी भी तरह के गलत निर्माण करने का खंडन किया और इन रिपोर्टों को भी नकार दिया कि तेंदुलकर इस संपति में उनके व्यावसायिक साझेदार हैं।
नारंग के प्रवक्ता ने बयान में कहा, ‘‘डहलिया बैंक पूरी तरह से संजय नारंग से संबंधित है और यह उनका निजी आवास है। तेंदुलकर उनके मित्र हैं और उनके व्यावसायिक संबंध नहीं हैं और वह डहलिया बैंक के मालिक नहीं हैं।’’ प्रवक्ता ने भी कहा, ‘‘डहलिया बैंक का निर्माण नियमों के तहत और कैंटोनमेंट अधिकारियों की अनुमति के बाद ही किया गया। यह निर्माण डीआरडीओ की भूमि से 50 मीटर से भी अधिक दूरी पर किया गया है। संक्षेप में कहा जाए तो इसमें कुछ भी गैरकानूनी नहीं है।’’ नारंग ने कैंटोनमेंट अधिकारियों पर उन्हें परेशान करने का आरोप लगाया।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
इसमें कहा गया है, ‘‘तेंदुलकर ने बैठक में हिस्सा लिया, जिसके बाद उन्होंने (अपने मित्र) नारंग के लैंढोर में बने आवास के संबंध में लंबित विवाद को लेकर रक्षा मंत्रालय से लिखित आग्रह किया था।’’ रिपोर्टों में कहा गया है कि तेंदुलकर जब रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से मिले थे, तो उन्होंने व्यवसायी संजय नारंग की तरफ से डीआरडीओ के करीब स्थित भूमि को लेकर चल रहे सुरक्षा विवाद को सुलझाने के लिए हस्तक्षेप करने की कोशिश की थी।
तेंदुलकर के एक प्रवक्ता ने कहा है कि उनके नारंग के साथ किसी तरह के व्यावसायिक संबंध नहीं हैं। नारंग लैंढोर स्थित संपति 'डहलिया बैंक' के मालिक हैं, जिस पर कथित रूप से निर्माण संबंधी नियमों का उल्लंघन करने का आरोप है। बयान में कहा गया है, ‘‘सचिन तेंदुलकर के संजय नारंग के साथ वर्तमान में कोई व्यावसायिक संबंध नहीं हैं और उनके लैंढोर कैंट से किसी तरह के आर्थिक हित नहीं जुड़े हैं।’’
नारंग ने अपनी तरफ से किसी भी तरह के गलत निर्माण करने का खंडन किया और इन रिपोर्टों को भी नकार दिया कि तेंदुलकर इस संपति में उनके व्यावसायिक साझेदार हैं।
नारंग के प्रवक्ता ने बयान में कहा, ‘‘डहलिया बैंक पूरी तरह से संजय नारंग से संबंधित है और यह उनका निजी आवास है। तेंदुलकर उनके मित्र हैं और उनके व्यावसायिक संबंध नहीं हैं और वह डहलिया बैंक के मालिक नहीं हैं।’’ प्रवक्ता ने भी कहा, ‘‘डहलिया बैंक का निर्माण नियमों के तहत और कैंटोनमेंट अधिकारियों की अनुमति के बाद ही किया गया। यह निर्माण डीआरडीओ की भूमि से 50 मीटर से भी अधिक दूरी पर किया गया है। संक्षेप में कहा जाए तो इसमें कुछ भी गैरकानूनी नहीं है।’’ नारंग ने कैंटोनमेंट अधिकारियों पर उन्हें परेशान करने का आरोप लगाया।
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