त्रावणकोर देवोस्वोम बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया, 'मंदिर परिसर में अब तक 10 से 50 साल तक की कोई भी लड़की या महिला ने प्रवेश नहीं किया है.' उच्चतम न्यायालय के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर नहीं करने के केरल सरकार के फैसले के बाद कार्यकर्ताओं में गुस्सा बढ़ गया है और पहाड़ी क्षेत्र में स्थित इस मंदिर के आस-पास तनाव का माहौल बना हुआ है. पारंपरिक तौर पर 10-50 साल की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश को वर्जित रखने के पैरोकार कार्यकर्ता राहुल ईश्वर को पम्बा में गिरफ्तार किया गया. यहीं से मंदिर जाने का रास्ता शुरू होता है. निलक्कल में बेहद तनावपूर्ण माहौल है. यहां राष्ट्रीय टीवी चैनल की महिला पत्रकारों को प्रदर्शनकारियों ने जबरन वाहन से बाहर निकालकर उनके वाहन को क्षतिग्रस्त कर दिया.
टीवी पर प्रदर्शनकारी काले और भगवा कपड़े पहने दिख रहे हैं. उन्होंने निलक्कल से पम्बा जाने वाली महिला पत्रकारों को रोकने के लिए उनके वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया. वरिष्ठ मंत्री ईपी जयराजन ने बताया कि कम से कम 10 मीडियाकर्मी घायल हुए हैं और उनके उपकरणों को नुकसान पहुंचाया गया है. मीडिया पर हुए हमले की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि संबंधित धाराओं के तहत संदिग्धों के खिलाफ मामले दर्ज किए जा रहे हैं. आंध्रप्रदेश की पूर्वी गोदावरी जिला निवासी माधवी शीर्ष अदालत के फैसले के बाद सबरीमला पहाड़ी पर चढ़ने वाली पहली रजस्वला आयु वर्ग की महिला है. पम्बा और आसपास के क्षेत्रों में बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती के बावजूद माधवी को बिना दर्शन किए लौटना पड़ा.
सबरीमला की ओर जाने वाले मार्ग पम्बा, निलक्कल और इरूमेली में सैकड़ों पुलिसकर्मी तैनात हैं. केरल के अलप्पुझा की रहनेवाली 'प्रतिबंधित उम्र' की एक महिला लीबी को भी पथनमथीट्टा बस टर्मिनल पर ही सबरीमला की तरफ आगे बढ़ने से रोक दिया गया. पुलिस ने उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला. कांग्रेस और भाजपा ने उच्चतम न्यायायल के फैसले के विरोध में हो रहे इस प्रदर्शन को अपना समर्थन दिया है. तंत्री (मुख्य पुजारी) के परिवार और पंडलाम राज परिवार के सदस्यों ने पम्बा में "नामजप" (प्रार्थना) की, जिन्हें पुलिस ने यहां से हटा दिया था, लेकिन इसके बाद भाजपा नेताओं के एक समूह ने यहां 'नामजप' किया.
Sabarimala Temple Opening Updates:
- बुधवार को पहली बार भगवान अय्यप्पा मंदिर के दरवाजे तो खुले लेकिन 'प्रतिबंधित' उम्र समूह वाली कोई भी महिला दर्शन करने में सक्षम नहीं हो पाई.
- महिला पत्रकार की गाड़ी को निशाना बनाते प्रदर्शनकारी
#Kerala:Protesters block and attack a woman journalist's car in Pathanamthitta #SabarimalaTemple pic.twitter.com/7TfRf2YIMi
— ANI (@ANI) October 17, 2018
- सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों ने 4 महिला पत्रकारों पर हमला किया है. वहीं एनडीटीवी को भी रिपोर्टिंग करने से रोक दिया गया है और NDTV के पत्रकार को वापस जाने को कहा गया है. इतना ही नहीं, पत्रकारों की कई गाड़ियों को निशाना बनाया गया है और तोड़ फोड़ की गई है. एनडीटीवी के पत्रकार से भी धक्का मुक्की की गई है. जिन पत्रकारों पर हमला हुआ है, उनमें आज तक की पत्रकार भी हैं.
-सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फ़ैसले के बाद केरल का सबरीमाला मंदिर आज पहली बार खुल रहा है. कोर्ट के आदेश के बावजूद 2 महिलाओं को मंदिर के अंदर जाने से रोक दिया गया. इनमें एक आंध्र की और दूसरी केरल के अल्लपुरा की महिला है. इन लोगों को वापस बेस कैंप भेज दिया गया है.
-पुलिस के तमाम बंदोबस्त के बावजूद प्रदर्शनकारी जगह-जगह महिलाओं को रोक रहे हैं. महिलाओं के प्रवेश का विरोध कर रहे लोग श्रद्धालुओं की गाड़ियों की चेकिंग कर रहे हैं. मंदिर के आस-पास तनाव का माहौल है. सात प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार किया गया है.
- केरल: कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया
- निलक्कल : सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने के इरादे से जाने वाली महिल मेधावी प्रदर्शन को देखते हुए आधे रास्ते से लौट आईं.Kerela: Congress party leaders hold a peaceful protest in Nilakkal against the entry of women in the age group of 10-50 to #SabarimalaTemple pic.twitter.com/EtHSp6NNrv
— ANI (@ANI) October 17, 2018
Nilakkal: A woman Madhavi on her way to #SabarimalaTemple returned mid-way along with her relatives after facing protests. #Kerala pic.twitter.com/OUCbOqa1aO
— ANI (@ANI) October 17, 2018
- पंबा: पुलिस ने केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों को हिरासत में लिया.
Pamba: Police detain people protesting against the entry of women in the age group of 10-50 women to Kerala's #SabarimalaTemple pic.twitter.com/DLdoYMVz8J
— ANI (@ANI) October 17, 2018
- सबरीमाला मंदिर में प्रवेश के खिलाफ में महिलाएं कर रही हैं प्रदर्शन
- सबरीमाला मंदिर मुद्दे पर सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया है, लेकिन अब आप कह रहे हैं कि यह हमारी परंपरा है. तीन तलाक भी इसी तरह की परंपरा थी, लेकिन जब इसे खत्म किया गया तो सब लोग प्रशंसा कर रहे थे. वहीं हिंदू अब सड़कों पर आ गए हैं. उन्होंने आगे कहा कि यह लड़ाई हिंदू पुनर्जागरण और अंधकारवाद के बीच है. पुनर्जागरण का कहना है कि सभी हिंदू बराबर हैं और जाति व्यवस्था को समाप्त किया जाना चाहिए. क्योंकि आज कोई ब्राह्मण केवल बौद्धिक नहीं है, बल्कि वे सिनेमा, व्यापार में भी हैं. यह कहां लिखा गया है कि जाति जन्म से है? शास्त्रों में संशोधन किया जा सकता है.#WATCH: Women protest in Nilakkal against the entry of women in the age group of 10-50 to #Sabarimala temple. #Kerala pic.twitter.com/GuxDZo0R7G
— ANI (@ANI) October 17, 2018
It's a fight b/w Hindu Renaissance&Obscurantism.Renaissance says all Hindus are equal& caste system should be abolished. Because no Brahman today is only intellectual, they're in cinema,business as well. Where is it written that caste is from birth?Shastras can be amended:S Swamy pic.twitter.com/ZOZaMdXVAJ
— ANI (@ANI) October 17, 2018
- सबरीमाला मंदिर मसले को लेकर महिलाओं के विरोध प्रदर्शन पर बीजेपी सांसद उदित राज ने कहा कि मैंने समानता के लिए लड़ाई देखी है, गुलामी और असमानता के लिए नहीं. एक ओर जहां देश में पुरुषों द्वारा अत्याचारों के खिलाफ लड़ाई चल रही है वहीं, दूसरी तरफ, महिलाएं ही अपनी स्वतंत्रता और अधिकारों के खिलाफ लड़ रही हैं. उदित राज ने आगे कहा कि यह दुनिया में पहली बार हुआ है, यह हास्यास्पद है. 'मुझे गुलाम बनाओ, मुझसे असमान रूप से व्यवहार करें, हम पुरुषों से कम हैं', महिलाएं ही महिलाओं को रोक रही हैं. आकिर इसमें क्या प्वाइंट हैं. मुझे नहीं पता कि इस देश में क्या हो रहा है. यह मेरी व्यक्तिगत राय है, राजनीतिक नहीं.
It has happened for the 1st time in the world, it's amusing. 'Make me a slave,treat me unequally,we're inferior to men'; women are stopping women. What's the point in this. I don't know what's happening in this nation. It's my personal opinion, not political: Udit Raj.#Sabarimala pic.twitter.com/o5pWFtnO6V
— ANI (@ANI) October 17, 2018
- तमिलनाडु: निलाक्कल में श्रद्धालू पहुंच रहे हैं. आज सबरीमाला मंदिर के कपाट खुलने हैं.
#TamilNadu: Pilgrims begin arriving at Nilakkal, the base camp of #SabarimalaTemple as the portals of the temple are all set to open today. pic.twitter.com/4Fw4eYvMum
— ANI (@ANI) October 17, 2018
-केरल में सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को देखते हुए किसी तरह की अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए सरकार और प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किये हैं. करीब एक हजार सुरक्षा कर्मी, जिनमें 800 पुरुष और 200 महिलाएं शामिल हैं, उन्हें निल्लेकल और पंपा बेस में तैनात किया गया है. वहीं, 500 सुरक्षा कर्मियों को सन्निधनम में तैनात किया गया है. गौरतलब है कि आज सबरीमाला मंदिर का पट खुलेगा.
Kerala: Total 1000 security personnel, 800 men and 200 women, deployed at Nillekal and Pampa base. 500 security personnel deployed at Sannidhanam. Portals of the #SabarimalaTemple will be opened today. pic.twitter.com/yxjJ1CCWzq
— ANI (@ANI) October 17, 2018
सबरीमाला मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले में क्या था:
- जस्टिस इंदु मल्होत्रा - इस मुद्दे का दूर तक असर जाएगा. धार्मिक परंपराओं में कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए. अगर किसी को किसी धार्मिक प्रथा में भरोसा है तो उसका सम्मान हो. ये प्रथाएं संविधान से संरक्षित हैं. समानता के अधिकार को धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के साथ ही देखना चाहिए. कोर्ट का काम प्रथाओं को रद्द करना नहीं है.
-जस्टिस चंद्रचूड़- अनुच्छेद 25 के मुताबिक सब बराबर हैं. समाज में बदलाव दिखना जरूरी. वैयक्तिक गरिमा अलग चीज़ है. लेकिन समाज मे सबकी गरिमा का ख्याल रखना ज़रूरी. पहले महिलाओं पर पाबन्दी उनको कमज़ोर मानकर लगाई जा रही थी. सबरीमला मामले में ब्रह्मचर्य से डिगने की आड़ में 10-50 वर्ष की महिलाओं पर मन्दिर में आने पर पाबन्दी लगाई गई थी.
-जस्टिस चंद्रचूड़ : मासिक धर्म की आड़ लेकर लगाई गई पाबन्दी महिलाओं की गरिमा के खिलाफ. अयप्पा के श्रद्धालु कोई अलग वर्ग नहीं हैं. महिलाओं को मासिक धर्म के आधार पर सामाजिक तौर पर बाहर करना संविधान के खिलाफ है. ये कहना कि महिला 41 दिन का व्रत नहीं कर सकतीं ये स्टीरियोटाइप है.
-जस्टिस चंद्रचूड: क्या संविधान महिलाओं के लिए अपमानजनक बात को स्वीकार कर सकता है ? पूजा से इनकार करना महिला गरिमा से इनकार करना. महिलाओं को भगवान की रचना के छोटे बच्चे की तरह बर्ताव संविधान से आंख मिचौली. पहले के दिनों में प्रतिबिंध प्राकृतिक कारणों से था.
- उस वक्त के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा: कहा कि पूजा का अधिकार सभी श्रद्धालुओं को है. उन्होंने कहा कि सबरीमाला की पंरपरा को धर्रम का अभिन्न हिस्सा नहीं माना जा सकता.
-जस्टिस नरीमन: जस्टिस नरीमन ने कहा कि मंदिर में महिलाओं को भी पूजा का समान अधिकार. ये मौलिक अधिकार है. भारत में महिलाओं के अधिकार के लिए बड़ा दिन. सुप्रीम कोर्ट ने सभी महिलाओं के लिए सबरीमाला मंदिर के दरवाजे खोले. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सबरीमाला की परंपरा असंवैधानिक है.
-सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धर्म एक है गरिमा और पहचान. अयप्पा कुछ अलग नहीं हैं. जो नियम जैविक और शारीरिक प्रक्रिया पर बने हैं वो संवैधानिक टेस्ट पर पास नहीं हो सकते.
हालांकि, इस अति संवेदनशील विषय पर कठिन समय का सामना कर रहे मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने मंदिर में प्रवेश से श्रद्धालुओं को रोकने की कोशिश करने वालों को कड़ी चेतावनी दी है. उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे. किसी को कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जाएगी. मेरी सरकार सबरीमला के नाम पर कोई हिंसा नहीं होने देगी.’’ मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘श्रद्धालुओं को सबरीमला जाने से रोकने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.’’ उन्होंने उच्चतम न्यायालय के फैसले पर पुनर्विचार की मांग नहीं करने के सरकार के फैसले पर फिर से विचार किये जाने की संभावना खारिज कर दी. विजयन ने कहा, ‘‘हम उच्चतम न्यायालय के कहे का पालन करेंगे.’’ इस बीच मंदिर का प्रबंधन देखने वाले त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड की बैठक के बाद पंडालम शाही परिवार के सदस्य शशिकुमार वर्मा ने कहा, ‘‘हम चाहते थे कि आज पुनर्विचार याचिका दाखिल करने पर फैसला हो, लेकिन बोर्ड ने कहा कि 19 अक्टूबर को टीडीबी की अगली बैठक में ही इस पर बातचीत हो सकती है.’’
VIDEO: सबरीमाला पर तनाव बरकरार
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