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कौन हैं शंकर सिंह? जिन्होंने बीमा भारती को हराने के साथ JDU के गढ़ रुपौली में लगाई 15 साल बाद सेंध

रुपौली उपचुनाव में पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव ने आरजेडी उम्मीदवार बीमा भारती का समर्थन किया था. माना जा रहा था कि अब बीमा भारती का जीतना सिर्फ एक औपचारिकता है. इसके बावजूद भी शंकर सिंह ने इस चुनाव में रिकॉर्ड अंतर से जीत दर्ज की है.

कौन हैं शंकर सिंह? जिन्होंने बीमा भारती को हराने के साथ JDU के गढ़ रुपौली में लगाई 15 साल बाद सेंध
बिहार की रुपौली सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार शंकर सिंह ने जीत के साथ रचा इतिहास
नई दिल्ली:

बिहार की रुपौली विधानसभा उपचुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार शंकर सिंह ने बड़ी जीत दर्ज की है. शंकर सिंह को इस चुनाव में 68000 से ज्याद वोट मिले हैं. उन्होंने JDU के कलाधर मंडल को 8 हजार से ज्यादा के अंतर से हराया है. जबकि रुपौली उपचुनाव में RJD की बीमा भारती को 37451 वोट मिले हैं. शंकर सिंह की यह जीत, कोई सधारण जीत नहीं है. इस जीत के कई मायनें हैं. शंकर सिंह की यह जीत इसलिए भी बेहद खास है क्योंकि ना सिर्फ उन्होंने इस उपचुनाव को जीता है बल्कि ये कारनामा जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के गढ़ में करके दिखाया है. आपको बता दें कि रुपौली विधानसभा सीट बीते 15 सालों से जेडीयू के पास थी. इस उपचुनाव में इस सीट से अभी तक की विधायक रही बीमा भारती को हराना कहीं से भी आसान नहीं था. लेकिन शंकर सिंह ने ये करके दिखाया. अब ऐसे में ये जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि आखिर रुपौली जैसे JDU के अभेद्य किले को भेदने वाले शंकर सिंह आखिर हैं कौन? और उनका राजनीतिक सफर कैसा रहा है. चलिए आज हम आपको शंकर सिंह के बारे में विस्तार से बताते हैं. 

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बीमा भारती को उनके ही गढ़ में मात देने वाले शंकर सिंह हैं कौन ? 

अगर शंकर सिंह के शुरुआती जीवन की बात करें तो वह राजनीति में आने से पहले इस इलाके में एक बाहुबली के तौर पर जाने जाते थे. यही वजह है कि आज शंकर सिंह की छवि एक बाहुबली नेता की है. शंकर सिंह की राजनीति में एंट्री 2005 में हुई. उन्होंने उस दौरान ना सिर्फ लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा बल्कि विधायक बनकर विधानसभा भी पहुंचे. रुपौली इलाके में अगड़ी जाति के बीच उनकी छवि एक रॉबिन हुड की है. शंकर सिंह इस बार के उपचुनाव में बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे थे. उनके सामने राष्ट्रीय जनता दल की बीमा भारती और जनता दल यूनाइटेड के कलाधर मंडल को हराने की चुनौती थी. 

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इस वजह से भरा था निर्दलीय पर्चा

शंकर सिंह के करीबियों की मानें तो उनको अपनी जनता पर पूरा भरोसा था. उन्हें मालूम था कि अगर वह इस बार के चुनाव में निर्दलीय भी मैदान में उतरे तो उन्हें जीतने से कोई नहीं रोक सकता. जनता पर उनका ये विश्वास ही था जिसकी बदोलत वो इस बार के चुनाव में बतौर निर्दलीय उम्मीदवार लड़े. और ना सिर्फ लड़े बल्कि इस सीट को अपने नाम भी किया. 

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बीमा भारती को पप्पू यादव का था समर्थन, फिर भी शंकर सिंह ने मारी बाजी

रुपौली उपचुनाव से पहले पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव ने आरजेडी उम्मीदवार बीमा भारती को अपना समर्थन देने का ऐलान किया था. पप्पू यादव का समर्थन मिलने के बाद ऐसा माना जा रहा था कि इस उपचुनाव में बीमा भारती का जीतना अब लगभग तय है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि पप्पू यादव सीमांचल क्षेत्र के चर्चित बाहुबली हैं और इस लोकसभा चुनाव में उन्होंने पूर्णिया सीट को बड़े अंतर के साथ जीता भी है. ऐसे में ये तो तय था कि पप्पू यादव जिस भी उम्मीदवार का समर्थन करेंगे जनता उसके लिए खासतौर पर मतदान करेगी. लेकिन शंकर सिंह ने अपनी जीत के साथ ही पप्पू यादव के इस तिलिस्म को भी तोड़ दिया. जनता ने शंकर सिंह को जीताने के साथ ही ये भी बता दिया दी कि अब उन्हें बीमा भारती से कहीं ज्यादा भरोसा शंकर सिंह पर है. 

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