
- अमरावती में पांच अक्टूबर को RSS की रैली में CJI बी.आर. गवई की माता डॉ. कमलताई गवई को मुख्य अतिथि बनाया है
- RSS के सूत्रों का कहना है कि डॉ. कमलताई गवई ने निमंत्रण स्वीकार कर लिया था
- मीडिया में खबरें आने और कथित दबाव के कारण डॉ. कमलताई अब कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर असमंजस में हैं
अमरावती में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की 5 अक्टूबर रैली होनी है. इस बार के कार्यक्रम में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी. आर. गवई की माता डॉ. कमलताई गवई को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है.आरएसएस की तरफ से बताया गया है कि उन्होंने निमंत्रण स्वीकार भी कर लिया था और इसी आधार पर स्वयंसेवकों ने उनके नाम वाले कार्ड वितरित कर दिए. लेकिन जैसे ही यह मामला सार्वजनिक हुआ, कार्यक्रम में उनके शामिल होने पर असमंजस की स्थिति बन गई है.
आमंत्रण स्वीकारने के बाद असमंजस
संघ पदाधिकारियों के अनुसार, कमलताई गवई ने आमंत्रण स्वीकार कर लिया था और इसी आधार पर उनका नाम निमंत्रण पत्र पर छापा गया. स्वयंसेवकों द्वारा वितरित कार्ड में उन्हें मुख्य अतिथि बताया गया है. लेकिन अब खबरें आ रही हैं कि मीडिया में मामला सुर्खियों में आने के बाद और कथित दबाव के चलते कमलताई कार्यक्रम में जाने को लेकर असमंजस में हैं.
क्या है पूरा मामला?
डॉ. कमलताई गवई, स्व. राज्यपाल रामकृष्ण गवई की पत्नी और CJI बी. आर. गवई की माता हैं. रामकृष्ण गवई कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे और उन्होंने नागपुर की दीक्षाभूमि पर डॉ. आंबेडकर स्मारक की स्थापना में अहम योगदान दिया. वे लंबे समय तक दीक्षाभूमि स्मारक समिति के अध्यक्ष भी रहे. यही वह स्थान है जहां 1956 में डॉ. आंबेडकर ने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी.
दिलचस्प तथ्य यह है कि स्वयं रामकृष्ण गवई भी वर्ष 1981 में RSS के एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि रह चुके थे और स्वयंसेवकों को संबोधित कर चुके थे. इस ऐतिहासिक संदर्भ में कमलताई द्वारा आमंत्रण स्वीकार किया जाना विशेष महत्व रखता है.
सोशल मीडिया में क्यों हो रहा है विवाद?
विवाद और बढ़ गया जब सोशल मीडिया पर कमलताई के नाम से एक पत्र वायरल होने लगा, जिसमें कठोर शब्दों में RSS की आलोचना की गई थी. हालांकि, उनके सहायक ने स्पष्ट किया कि उस पत्र का कमलताई से कोई संबंध नहीं है.
नवरात्र के बीच डबल कार्यक्रम
विजयादशमी के दिन जहां नागपुर में RSS का मुख्य कार्यक्रम होता है, वहीं दीक्षाभूमि पर धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस का आयोजन भी किया जाता है. अमरावती के इस आमंत्रण विवाद ने अब दोनों आयोजनों के बीच वैचारिक खींचतान को और हवा दे दी है.
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