
- पीएम मोदी ने मन की बात में संघ की शताब्दी यात्रा की सराहना की और राष्ट्र प्रथम की भावना पर जोर दिया.
- भारत सरकार छठ पूजा को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल कराने का प्रयास कर रही है.
- पीएम ने स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देने और पारंपरिक उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए लोगों से आग्रह किया.
'मन की बात' के 126वें एपिसोड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की 100 वर्षों की उल्लेखनीय, अभूतपूर्व और प्रेरणादायक यात्रा की सराहना की. उन्होंने कहा कि आरएसएस स्वयंसेवकों के हर प्रयास में 'राष्ट्र प्रथम' की भावना सदैव सर्वोपरि रही है. आरएसएस 100 साल से 'बिना थके, बिना रुके' राष्ट्र सेवा के कार्य में लगा हुआ है. इसीलिए हम देखते हैं, देश में कहीं भी प्राकृतिक आपदा आए, आरएसएस के स्वयंसेवक सबसे पहले वहां पहुंच जाते हैं. लाखों लाख स्वयंसेवकों के जीवन के हर कर्म, हर प्रयास में राष्ट्र प्रथम की यह भावना हमेशा सर्वोपरि रहती है. उन्होंने कहा, "अगले कुछ ही दिनों में हम विजयादशमी मनाने वाले हैं. इस बार विजयादशमी एक और वजह से बहुत विशेष है. इसी दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के 100 वर्ष हो रहे हैं. एक शताब्दी की ये यात्रा जितनी अद्भुत है, अभूतपूर्व है, उतनी ही प्रेरक है."
हेडगेवार को किया याद
पीएम मोदी ने कहा कि 100 साल पहले जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना हुई थी, तब देश सदियों से गुलामी की जंजीरों में बंधा था. सदियों की इस गुलामी ने हमारे स्वाभिमान और आत्मविश्वास को गहरी चोट पहुंचाई थी. विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता के सामने पहचान का संकट खड़ा किया जा रहा था. देशवासी हीन-भावना का शिकार होने लगे थे. इसलिए देश की आजादी के साथ-साथ ये भी महत्वपूर्ण था कि देश वैचारिक गुलामी से भी आजाद हो.

इस दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने संघ संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार को याद किया. उन्होंने कहा, "हेडगेवार जी ने इस विषय में मंथन करना शुरू किया और फिर इसी भगीरथ कार्य के लिए उन्होंने 1925 में विजयादशमी के पावन अवसर पर 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ' की स्थापना की. उनके जाने के बाद 'गुरु जी' ने राष्ट्र सेवा के इस महायज्ञ को आगे बढ़ाया." उन्होंने आगे कहा, "परम पूज्य गुरुजी कहा करते थे, 'इदं राष्ट्राय इदं न मम' यानी, ये मेरा नहीं है, ये राष्ट्र का है. इसमें स्वार्थ से ऊपर उठकर राष्ट्र के लिए समर्पण का भाव रखने की प्रेरणा है. गुरुजी गोलवरकर जी के इस वाक्य ने लाखों स्वयंसेवकों को त्याग और सेवा की राह दिखाई है. त्याग और सेवा की भावना और अनुशासन की सीख यही संघ की सच्ची ताकत है."
छठ को लेकर भारत सरकार की बड़ी तैयारी
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा, "हमारे पर्व-त्योहार भारत की संस्कृति को जीवंत बनाए रखते हैं. छठ पूजा एक ऐसा पावन पर्व है, जो दिवाली के बाद आता है. सूर्यदेव को समर्पित यह महापर्व बहुत ही विशेष है. इसमें हम डूबते सूर्य को भी अर्घ्य देते हैं, उनकी आराधना करते हैं. छठ पूजा को न सिर्फ देश के अलग-अलग हिस्सों में मनाया जाता है, बल्कि दुनिया भर में छटा देखने को मिलती है. आज ये एक ग्लोबल फेस्टिवल बन रहा है. पीएम मोदी ने आगे कहा कि मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि भारत सरकार भी छठ पूजा से जुड़ा एक बड़ा प्रयास कर रही है. भारत सरकार छठ महापर्व को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल करने की कोशिश कर रही है. जब छठ पूजा यूनेस्को की सूची में शामिल हो जाएगी, तो दुनिया के हर कोने के लोग इसकी भव्यता और दिव्यता का अनुभव कर सकेंगे.
पीएम मोदी ने आगे कहा कि कुछ समय पहले भारत सरकार की इसी तरह की कोशिशों के कारण, कोलकाता की दुर्गा पूजा भी यूनेस्को की इस सूची में शामिल हो गई थी. अगर हम अपने सांस्कृतिक आयोजनों को ऐसी वैश्विक पहचान दिलाते हैं, तो दुनिया भी उनके बारे में जान सकेगी, उन्हें समझ सकेगी और उनमें भाग लेने के लिए आगे आएगी.

पीएम मोदी ने किए दो आग्रह
- आगामी त्योहारों को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों से स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देकर खरीदने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि स्थानीय उत्पाद खरीदना न केवल पारंपरिक उद्योगों को बढ़ावा देता है, बल्कि इन उत्पादों को बनाने वाले परिवारों को भी सीधे लाभ पहुँचाता है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था निचले स्तर से मजबूत होती है.
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में महर्षि वाल्मीकि को याद किया. उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि भारतीय संस्कृति के आधार स्तंभ हैं. उन्होंने रामायण जैसे महान ग्रंथ के माध्यम से भगवान राम की कथाओं को जन-जन तक पहुंचाया. पीएम मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर के साथ-साथ निषादराज और महर्षि वाल्मीकि के मंदिरों के निर्माण का जिक्र करते हुए लोगों से इन मंदिरों के दर्शन करने का आग्रह किया.
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