नई दिल्ली:
पिछले करीब नौ दशक से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की पहचान खाकी रंग की नेकर पहने कार्यकर्ताओं की समूह के रूप में ही रही है। देश की राजनीति में खासा असर रखने वाले संगठन की यह पहचान जल्द ही बीते जमाने की बात बन सकती है। खाकी नेकर को जल्द ही फुलपैंट से बदला जा सकता है।
वरिष्ठ सदस्यों की ओर से आई थी सलाह
जानकारों की मानें तो युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए इस बदलाव का गंभीरता से विचार किया जा रहा है। दरअसल, कई वरिष्ठ सदस्यों की ओर से सलाह दी गई थी कि अब समय आ गया है कि युवाओं का आकर्षित करने के लिए संघ अपने इस 'पुरातन' यूनिफॉर्म से निजात पा ले। सुझाव पर गौर करते हुए आरएसएस ने इस मामले में एक समिति का गठन कर दिया है।
अगले साल मार्च में फैसला संभव
संघ से जुड़े सतीश मोध ने बताया, 'यूनिफॉर्म में बदलाव का मुद्दा रांची में कार्यकारी मंडल की तीन दिवसीय बैठक में उठाया गया। इसके बाद एक समिति गठित की गई है। यह समिति अगले साल मार्च में होने वाली प्रतिनिधि सभा की बैठक में अपनी सिफारिशें रखेगी और इसके मुताबिक फैसला लिया जाएगा।' रांची की बैठक में कई सदस्यों की राय थी कि नेकर युवा लोगों को संगठन से जोड़ने में बाधा बन जाता है।
कार्यकर्ताओं का सबसे बड़ा संगठन होने का दावा
आरएसएस 60 लाख से अधिक स्वयंसेवकों के साथ दुनिया का सबसे बड़े कार्यकर्ताओं से जुड़ा संगठन होने का दावा करता रहा है। इसकी स्थापना वर्ष 1925 में एक सामाजिक संगठन के तौर पर हुई थी। हालांकि संघ यह बात दोहराता रहा है कि वह राजनीतिक संगठन नहीं है, लेकिन इसके भाजपा इसके कई शीर्ष नेताओं को पार्टी में स्थान दे चुकी है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और राम माधव शामिल हैं।
वरिष्ठ सदस्यों की ओर से आई थी सलाह
जानकारों की मानें तो युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए इस बदलाव का गंभीरता से विचार किया जा रहा है। दरअसल, कई वरिष्ठ सदस्यों की ओर से सलाह दी गई थी कि अब समय आ गया है कि युवाओं का आकर्षित करने के लिए संघ अपने इस 'पुरातन' यूनिफॉर्म से निजात पा ले। सुझाव पर गौर करते हुए आरएसएस ने इस मामले में एक समिति का गठन कर दिया है।
अगले साल मार्च में फैसला संभव
संघ से जुड़े सतीश मोध ने बताया, 'यूनिफॉर्म में बदलाव का मुद्दा रांची में कार्यकारी मंडल की तीन दिवसीय बैठक में उठाया गया। इसके बाद एक समिति गठित की गई है। यह समिति अगले साल मार्च में होने वाली प्रतिनिधि सभा की बैठक में अपनी सिफारिशें रखेगी और इसके मुताबिक फैसला लिया जाएगा।' रांची की बैठक में कई सदस्यों की राय थी कि नेकर युवा लोगों को संगठन से जोड़ने में बाधा बन जाता है।
कार्यकर्ताओं का सबसे बड़ा संगठन होने का दावा
आरएसएस 60 लाख से अधिक स्वयंसेवकों के साथ दुनिया का सबसे बड़े कार्यकर्ताओं से जुड़ा संगठन होने का दावा करता रहा है। इसकी स्थापना वर्ष 1925 में एक सामाजिक संगठन के तौर पर हुई थी। हालांकि संघ यह बात दोहराता रहा है कि वह राजनीतिक संगठन नहीं है, लेकिन इसके भाजपा इसके कई शीर्ष नेताओं को पार्टी में स्थान दे चुकी है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और राम माधव शामिल हैं।
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