
मामला दलित वोटों का है. उन्हें अपना बताने और दिखाने का है. सत्ता का रास्ता दलित समाज से होकर गुजरता है. इसीलिए इस वोट के लिए बीजेपी, समाजवादी पार्टी और बीएसपी मैं जबरदस्त जोर आजमाइश जारी है. ताजा विवाद एक पोस्टर को लेकर शुरू हुआ है. अखिलेश यादव और बाबा साहेब आंबेडकर की एक फोटो से सियासी घमासान मचा है. समाजवादी पार्टी पर आंबेडकर के अपमान का आरोप लगाते हुए बीजेपी ने यूपी में जगह-जगह प्रदर्शन किया.
बीते दिनों लखनऊ में समाजवादी पार्टी के लोहिया वाहिनी की बैठक थी. अखिलेश यादव भी इस बैठक में शामिल हुए. मीटिंग के दौरान ही उन्हें एक तस्वीर भेंट की गई. इस फोटो में आधा चेहरा अखिलेश यादव का है जबकि आधा चेहरा बाबा साहेब आंबेडकर का है. इस तस्वीर को लालचंद गौतम ने भेंट किया था. गौतम लोहिया वाहिनी के प्रदेश सचिव हैं. समाजवादी पार्टी ऑफिस के बाहर भी इस तरह के कई होर्डिंग लगे हैं. अब इसी पर विवाद शुरू हो गया है.
केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल बीजेपी के दलित चेहरा हैं. उन्होंने इसी फोटो के बहाने समाजवादी पार्टी के साथ साथ कांग्रेस पर भी दलित विरोधी होने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि कोई कैसे अपना चेहरे के साथ बाबा साहेब का चेहरा लगा सकता है. उन्होंने समाजवादी पार्टी पर प्रमोशन में आरक्षण का विरोध करने का आरोप लगाया. बीजेपी नेता अमित मालवीय ने कहा कि अखिलेश की पार्टी ने पहले राणा सांगा का अपमान किया और अब बाबा साहेब का.
मौका मिलते ही बीजेपी के नेता सड़कों पर उतर आए. लोकसभा चुनाव के बाद से ही बीजेपी दलितों को अपना बनाने में जुटी है. अखिलेश यादव के पीडीए से मुकाबले के लिए बीजेपी को फोटो वाला मुद्दा मिल गया तो दिल्ली से लेकर लखनऊ तक पार्टी एक्शन में आ गई. यूपी के सभी जिलों में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया. अखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र कन्नौज में प्रदर्शन का नेतृत्व असीम अरूण ने किया. यूपी सरकार के मंत्री अरूण ने कहा कि अखिलेश यादव के तो खून में दलित विरोध है.
बीएसपी की चिंता तो अपना दलित वोट बचाने की है. मायावती की यही पूंजी है. उनके भतीजे आकाश आनंद ने भी आंबेडकर वाली फोटो पर समाजवादी पार्टी के खुलाफ मोर्चा खोला है. आकाश ने कहा कि आंबेडकर जी की तस्वीर के साथ जो छेड़छाड़ सपा के लोगों ने की है, वह अक्षम्य अपराध है और समाजवादी पार्टी की तरफ से इसपर माफी ना मांगना ये साबित करता है कि ये एक सोचीसमझी साजिश है, जिसके सूत्रधार सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव हैं.
यूपी में दो साल बाद विधानसभा के चुनाव हैं.अखिलेश यादव को लगता है कि इस बार सत्ता में उनकी वापसी हो सकती है. वे कहते रहे हैं कि जो लोकसभा जीतता है, वहीं विधानसभा भी जीतता है. लोकसभा चुनाव में पार्टी ने बीजेपी के मुकाबले में अच्छा प्रदर्शन किया था. दलित वोटों के लिए अखिलेश ने पूरी ताकत झोंक दी है. अपनी पार्टी बताने के लिए मायावती ने बीएसपी में घरवापसी अभियान शुरू कर दिया है, जो नेता पार्टी छोड़कर चले गए थे, उन्हें सम्मान से बुलाया जा रहा है.
राणा सांगा पर विवादित बयान देने के बाद से समाजवादी पार्टी सांसद रामजी लाल सुमन ख़बरों में हैं. अखिलेश यादव और उनकी पार्टी अपने सांसद के साथ खड़ी है. अखिलेश यादव को लगता है कि इसी बहाने दलित वोटर बीजेपी के खिलाफ उनके साथ होंगे. मायावती बार-बार गेस्ट हाउस कांड की याद दिलाती हैं. चुनाव तक दलित समाज को अपना बताने और दिखाने का ये खेल जारी रहेगा.
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