नई दिल्ली:
दिल्ली की एक अदालत ने 'द एनर्जी एंड रिसोर्सेस इंस्टीट्यूट' (टेरी) के महानिदेशक आर.के. पचौरी को शुक्रवार को यह कहते हुए उनके कार्यालय के नई दिल्ली स्थित मुख्यालय और गुड़गांव स्थित एक शाखा को छोड़कर उसके परिसरों में प्रवेश करने की इजाजत दे दी कि उनके पूरे परिसरों में जाने पर रोक लगाना 'बहुत सख्त' होगा। पचौरी पर एक महिला कर्मचारी ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है।
अदालत ने पचौरी से कहा कि वह जांच पूरी होने तक मुख्यालय, जहां कथित घटना हुई थी और टेरी की उस गुड़गांव शाखा नहीं जाएं जहां पीड़िता काम करती है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राज कुमार त्रिपाठी ने कहा, 'कथित घटना जैसा कि बताया गया है तब हुई थी जब शिकायतकर्ता टेरी के मुख्यालय में काम कर रही थी। मामले के तथ्यों एवं परिस्थतियों के मद्देनजर यह न्याय के हित में उचित होगा यदि आरोपी पर टेरी के मुख्यालय और गुड़गांव कार्यालय जाने पर रोक लगायी जाए जहां शिकायतकर्ता को ड्यूटी ज्वाइन करने के लिए कहा गया है।'
अदालत ने कहा, 'आरोपी पर टेरी के सभी परिसरों में जाने पर रोक लगाना 'बहुत सख्त' होगा।' अदालत ने शिकायतकर्ता के वकील की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि टेरी के सभी परिसर आपस में जुड़े हुए हैं और उसके महानिदेशक के तौर पर पचौरी गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं और अभियोजन के सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं। अदालत ने कहा कि पुलिस ने सभी ऐहतियाती कदम उठाए हैं।
अदालत ने कहा, 'उपरोक्त कारणों से 21 मार्च 2015 के आदेश में संशोधन के लिए आरोपी की अर्जी स्वीकार की जाती है।' अदालत ने पचौरी के इस अनुरोध को ध्यान में रखते हुए कि उन्हें कार्यालय जाने की इजाजत दी जाए ताकि वह अपनी आजीविका चला सकें, कहा, '21 मार्च की तिथि वाले आदेश में संशोधन करके यह किया जाता है कि आरोपी मामले की जांच पूरी होने तक टेरी के मुख्यालय और टेरी के गुड़गांव शाखा कार्यालय में प्रवेश नहीं करेगा। यद्यपि वह टेरी के अन्य परिसरों में जाने और वहां से काम करने के लिए स्वतंत्र है।'
शिकायतकर्ता के वकील के इस दलील कि आरोपी से घर से काम करने के लिए कहा जाए, अदालत ने कहा, 'हम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के युग में रह रहे हैं। हमें अच्छी तरह से पता है कि सभी प्रमुख कार्यालय एवं संस्थान एक-दूसरे से अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं।' अदालत ने कहा, 'चूंकि शिकायतकर्ता और आरोपी के गैजेट पहले ही जांच अधिकारी द्वारा जब्त कर लिए गए हैं, यह अदालत यह नहीं समझ पा रही है कि आरोपी सबूत से छेड़छाड़ कैसे करेगा।'
अदालत ने पचौरी से कहा कि वह जांच पूरी होने तक मुख्यालय, जहां कथित घटना हुई थी और टेरी की उस गुड़गांव शाखा नहीं जाएं जहां पीड़िता काम करती है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राज कुमार त्रिपाठी ने कहा, 'कथित घटना जैसा कि बताया गया है तब हुई थी जब शिकायतकर्ता टेरी के मुख्यालय में काम कर रही थी। मामले के तथ्यों एवं परिस्थतियों के मद्देनजर यह न्याय के हित में उचित होगा यदि आरोपी पर टेरी के मुख्यालय और गुड़गांव कार्यालय जाने पर रोक लगायी जाए जहां शिकायतकर्ता को ड्यूटी ज्वाइन करने के लिए कहा गया है।'
अदालत ने कहा, 'आरोपी पर टेरी के सभी परिसरों में जाने पर रोक लगाना 'बहुत सख्त' होगा।' अदालत ने शिकायतकर्ता के वकील की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि टेरी के सभी परिसर आपस में जुड़े हुए हैं और उसके महानिदेशक के तौर पर पचौरी गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं और अभियोजन के सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं। अदालत ने कहा कि पुलिस ने सभी ऐहतियाती कदम उठाए हैं।
अदालत ने कहा, 'उपरोक्त कारणों से 21 मार्च 2015 के आदेश में संशोधन के लिए आरोपी की अर्जी स्वीकार की जाती है।' अदालत ने पचौरी के इस अनुरोध को ध्यान में रखते हुए कि उन्हें कार्यालय जाने की इजाजत दी जाए ताकि वह अपनी आजीविका चला सकें, कहा, '21 मार्च की तिथि वाले आदेश में संशोधन करके यह किया जाता है कि आरोपी मामले की जांच पूरी होने तक टेरी के मुख्यालय और टेरी के गुड़गांव शाखा कार्यालय में प्रवेश नहीं करेगा। यद्यपि वह टेरी के अन्य परिसरों में जाने और वहां से काम करने के लिए स्वतंत्र है।'
शिकायतकर्ता के वकील के इस दलील कि आरोपी से घर से काम करने के लिए कहा जाए, अदालत ने कहा, 'हम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के युग में रह रहे हैं। हमें अच्छी तरह से पता है कि सभी प्रमुख कार्यालय एवं संस्थान एक-दूसरे से अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं।' अदालत ने कहा, 'चूंकि शिकायतकर्ता और आरोपी के गैजेट पहले ही जांच अधिकारी द्वारा जब्त कर लिए गए हैं, यह अदालत यह नहीं समझ पा रही है कि आरोपी सबूत से छेड़छाड़ कैसे करेगा।'
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं