कानून-व्यवस्था को लेकर सार्वजनिक मंचों पर कई बार अपने पुत्र अखिलेश यादव की सरकार की कथित आलोचना कर चुके समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने गुरवार को मुजफ्फरनगर दंगों को लेकर सरकार की कार्यप्रणाली पर तल्ख टिप्पणी करते हुए ऐसे मामलों से सख्ती से निपटने की हिदायत दी।
यादव ने अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र मैनपुरी में आयोजित सपा की रैली में कहा कि मुजफ्फरनगर में साम्प्रदायिक ताकतें कामयाब हो गयीं। कुछ शक्तियां फसाद पैदा करना चाहती हैं, लेकिन हम उत्तर प्रदेश को गुजरात नहीं बनने देंगे। प्रदेश में जब भी सपा की सरकार बनती है तो साम्प्रदायिक ताकतें दंगे कराती हैं, लेकिन हम उनके मंसूबे कामयाब नहीं होने देंगे।
मुजफ्फरनगर दंगों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा ‘अखिलेश और बाकी लोग मंत्रिमण्डल में बैठे हैं। इस तरह की बातों से सख्ती से निपटा जाता है, बातचीत से नहीं। अगर हमने सख्ती ना की होती तो अयोध्या में मस्जिद गिरा दी गयी होती। साम्प्रदायिक शक्तियों से सख्ती से निपटा जाता है बातचीत और ढिलाई से नहीं निपट सकते।’
सपा प्रमुख ने भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी को कोरी चकाचौंध से घिरा राजनेता बताते हुए कहा कि मोदी सिर्फ टेलीविजन तथा गुजरात में दिखायी दे रहे हैं, और कहीं नहीं।
आगामी लोकसभा चुनाव को सपा के लिये महत्वपूर्ण चुनौती बताते हुए यादव ने कहा कि केन्द्र में अब तीसरे मोर्चे की सरकार ही बनेगी। उन्होंने बताया कि इस मोर्चे के गठन की कवायद के तहत पिछले दिनों 17 दलों के नेताओं की बैठक हुई थी।
सपा प्रमुख ने कहा कि कांग्रेस तथा भाजपा विरोधी सभी नेता तीसरे मोर्चे के गठन के लिये उत्सुक हैं। सपा का लक्ष्य है कि वह उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटें जीते। सपा तीसरे मोर्चे का सबसे बड़ा दल होगा। केन्द्र में सपा की भूमिका होगी। तभी देश में परिवर्तन होगा।
गरीबों को मुफ्त अनाज देने की जरूरत बताते हुए यादव ने कहा कि केन्द्र में सपा की सरकार आने पर खाद्य सुरक्षा कानून के तहत एक-दो रुपये में अनाज के बजाय मुफ्त अन्न दिया जाएगा।
मुसलमान और किसान को देश की तरक्की का वाहक बताते हुए उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने सच्चर आयोग की सिफारिशों पर सार्थक अमल नहीं किया। आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक मुसलमान देश में सबसे ज्यादा गरीब हैं और भुखमरी से जूझ रहे हैं।
यादव ने भारत पर चीन के खतरे का एक बार फिर जिक्र करते हुए कहा कि पड़ोसी मुल्क की हिमाकत को नजरअंदाज करना हिन्दोस्तान पर भारी पड़ेगा।
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