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This Article is From Mar 19, 2020

तेजस्वी सूर्या ने डॉक्टरों, फौजियों से की सांसदों की तुलना, तो कार्ती चिदम्बरम ने कहा 'हास्यास्पद'

यह बहस केरल से कांग्रेस सांसद शशि थरूर की टिप्पणी से शुरू हुई, जब उन्होंने कहा कि सांसदों को सामाजिक स्तर पर शारीरिक दूरी बनाए रखने का संदेश प्रसारित करने के बावजूद संसद में एक-दूसरे के साथ बैठना पड़ रहा है.

तेजस्वी सूर्या ने डॉक्टरों, फौजियों से की सांसदों की तुलना, तो कार्ती चिदम्बरम ने कहा 'हास्यास्पद'
कांग्रेस सांसद कार्ती चिदंबरम. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

कोरोनावायरस के फैलाव की आशंका के मद्देनज़र विपक्षी दलों के नेताओं द्वारा लॉकडाउन की मांग किए जाने के बावजूद संसद सत्र जारी है, और इसी बीच भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद तेजस्वी सूर्या ने कांग्रेस पर वार करते हुए माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर कहा कि सांसदों को भी डॉक्टरों तथा सैनिकों की तरह जुटे रहना चाहिए. इस पर कांग्रेस सांसद कार्ती चिदम्बरम ने पलटवार करते हुए कहा, 'तुलना हास्यास्पद है...'

यह बहस केरल से कांग्रेस सांसद शशि थरूर की टिप्पणी से शुरू हुई, जब उन्होंने कहा कि सांसदों को सामाजिक स्तर पर शारीरिक दूरी बनाए रखने का संदेश प्रसारित करने के बावजूद संसद में एक-दूसरे के साथ बैठना पड़ रहा है. उन्होंने लिखा था, "विडम्बना है कि संसद के सदस्यों को, जिन्हें COVID-19 के खिलाफ अपने क्षेत्र के लोगों को आवश्यक सावधानियां बरतने के लिए कहना चाहिए, संसद में अब भी इकट्ठे हो रहे हैं, जहां वे संकरी बेन्चों पर एक-दूसरे से सटकर बैठते हैं... 'जो कहो, वही अमल में लाओ' से बेहद परे... सांसदों का संदेश है - जो मैं कहता हूं, वह करो, जो मैं करता हूं, वह नहीं..."

BJP के तेजस्वी सूर्या ने इस पर लिखा, "सर, सांसद विशेष वर्ग से नहीं होते... अगर हमारे डॉक्टर, स्वास्थ्य कर्मी, सीमा पर तैनात सैनिक और एयरपोर्ट कर्मी सभी मुश्किलों का सामना करते हुए डटे हुए हैं, तो क्या हमें भी अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करते रहना चाहिए...? सावधानी बरतना अहम है, लेकिन घबराना नहीं... प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत कोरोनावायरस से निपटने में वैश्विक मानक स्थापित कर रहा है..."

इस पर कांग्रेस सांसद कार्ती चिदम्बरम ने पलटवार करते हुए कहा, "सांसदों की तुलना आपातकालीन स्वास्थ्य कर्मियों से करना कतई हास्यास्पद है... मैं स्वास्थ्य कर्मियों को उनकी प्रतिबद्धता / कटिबद्धता के लिए सलाम करता हूं... लेकिन संसद के काम करने और सांसदों के एकत्र होने का कोई औचित्य नहीं है... अगर हर जगह लोगों का इकट्ठा होना कम किया जा रहा है, तो संसद अपवाद क्यों हो...?"

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