सबरीमला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है. नेशनल अयप्पा डिवोटी एसोसिएशन की अध्यक्ष शैलजा विजयन ने याचिका दायर की है और इस याचिका में कहा गया है कि जो महिलाएं आयु पर प्रतिबंध लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट आईं थीं वे अयप्पा भक्त नहीं हैं. ये फैसला लाखों अयप्पा भक्तों के मौलिक अधिकारों को प्रभावित करते हैं. फैसले के जरिए लोगों की आवाज़ के लिए मेल नहीं खाया जा सकता. याचिका में यह भी कहा गया है, "याचिकाकर्ताओं का मानना है कि कोई भी कानूनी विद्वान यहां तक कि सबसे बड़ा न्यायवादी या न्यायाधीश भी जनता के सामान्य ज्ञान और ज्ञान का एक मैच नहीं हो सकता. इस देश में उच्चतम न्यायिक न्यायाधिकरण की कोई न्यायिक घोषणा नहीं है.
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पूरे मामले में दिलचस्प बात यह है कि केवल याचिकाकर्ता और पक्षकार ही पुनर्विचार याचिका दायर करते हैं. यहां ये याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट के सितंबर के फैसले में पक्षकार नहीं हैं. दूसरी तरफ, नैयर सर्विस सोसाइटी ने भी सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है. इस याचिका में कहा गया है कि सबरीमला पर संविधान पीठ के फैसले पर फिर से विचार हो. ये फैसला धार्मिक अधिकार का उल्लंघन है. आपको बता दें कि पिछले महीने ही सुप्रीम कोर्ट ने केरल के सबरीमला मंदिर (Sabarimala Temple Case) में अब सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश को हरी झंडी दे दी थी. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने फैसले में सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक को हटा दिया और इस प्रथा को असंवैधानिक करार दिया. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब सबरीमाला मंदिर के दरवाजे सभी महिलाओं के लिए खोल दिये गये.
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