प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
अरहर दाल एनडीए सरकार का सिरदर्द बनी हुई है और तमाम कोशिशों और दावों के बावजूद देश के कई शहरों में अब भी महंगी हुई जा रही है। पिछले कुछ हफ्तों में सरकार के कड़े हस्तक्षेप के बाद देश के कई शहरों में कीमतें घटी ज़रूर हैं लेकिन अब भी ऐसे कई इलाके हैं जहां सरकार की कोशिशों का असर नहीं दिख रहा है। बीते एक महीने में सरकार विदेशों से 7000 टन अरहर दाल आयात करने का फैसला कर चुकी है लेकिन ये दाल देश के कई शहरों की दुकानों के भाव कब बदलेगी - ये पता नहीं।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को दावा किया, 'कुछ रबी की फसल की दाल आनी शुरू हुई है। कुछ अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में भी अगली फसल आनी शुरू हुई है...लगभग सभी राज्यों में पिछले 5-7 दिनों में दाम मोडरेट होने शुरू हो गये हैं।' लेकिन सरकार के अपने आंकड़े वित्त मंत्री के इस दावे पर सवाल खड़े करते हैं। खाद्य मंत्रालय के उपभोक्ता विभाग के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक 23 अक्टूबर और 2 नवंबर के बीच खुदरा बाज़ार में अरहर दाल दस शहरों में महंगी हुई है।
सबसे ज़्यादा बढ़ोत्तरी करनाल में दर्ज़ की गयी है जहां पिछले दस दिन में अरहर दाल 50 रुपये प्रति किलो तक महंगी हुई है। इस दौरान अरहर दाल पंचकूला में 25 रुपये, अमृतसर में 25 रुपये, धर्मशाला में 18 रुपये, शिमला में 10 रुपये और रायपुर में 10 रुपये प्रति किलो तक महंगी हुई। जबकि चंडीगढ़ में बीते पांच दिन में दाल 35 रुपये किलो महंगी हो चुकी है।
उत्तरी भारत के कई राज्यों में दाल की सप्लाई करने वाले दाल व्यापारी श्याम गुप्ता कहते हैं, 'बाज़ार में माल कम है...मिल वाले दाल कम प्रोसेस कर रहे हैं...रिटेल व्यापारी ज़्यादा माल नहीं खरीद रहे...स्टॉक लिमिट तय करने का भी अरहर दाल की उपलब्धता पर फर्क पड़ रहा है।' दाल व्यापारियों की दलील है कि देश के कई शहरों में अरहर दाल का जितना स्टॉक पहुंचना चाहिये था उतना नहीं पहुंच पा रहा है। इसका नतीजा ये हुआ है कि रिटेल कीमतों अब भी बढ़ रही हैं।
हालांकि त्यौहारों के मौसम में अरहर दाल की मांग आम तौर पर घटती है और इस बार भी दाल व्यापारियों की दलील है कि जब मांग घटेगी तो कीमतें भी कम होंगी। दाल व्यापारी आनंद गर्ग कहते हैं, 'दीवाली के सीज़न में रिटेलर दाल पीछे कर दूसरे सामान जैसे ड्राई-फ्रूट्स और दूसरे गिफ्ट आइटम्स की बिक्री ज़्यादा करता है। त्यौहारों में लोग दाल कम खरीदते हैं, जब लोग दाल कम खरीदेंगे तो उनकी मांग भी घटेगी और कीमतें भी धीरे-धीरे कम होंगी। यानी अरहर दाल की कीमतें सामान्य होने के लिए आपको दिवाली खत्म होने का इंतज़ार करना पड़ेगा।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को दावा किया, 'कुछ रबी की फसल की दाल आनी शुरू हुई है। कुछ अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में भी अगली फसल आनी शुरू हुई है...लगभग सभी राज्यों में पिछले 5-7 दिनों में दाम मोडरेट होने शुरू हो गये हैं।' लेकिन सरकार के अपने आंकड़े वित्त मंत्री के इस दावे पर सवाल खड़े करते हैं। खाद्य मंत्रालय के उपभोक्ता विभाग के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक 23 अक्टूबर और 2 नवंबर के बीच खुदरा बाज़ार में अरहर दाल दस शहरों में महंगी हुई है।
सबसे ज़्यादा बढ़ोत्तरी करनाल में दर्ज़ की गयी है जहां पिछले दस दिन में अरहर दाल 50 रुपये प्रति किलो तक महंगी हुई है। इस दौरान अरहर दाल पंचकूला में 25 रुपये, अमृतसर में 25 रुपये, धर्मशाला में 18 रुपये, शिमला में 10 रुपये और रायपुर में 10 रुपये प्रति किलो तक महंगी हुई। जबकि चंडीगढ़ में बीते पांच दिन में दाल 35 रुपये किलो महंगी हो चुकी है।
उत्तरी भारत के कई राज्यों में दाल की सप्लाई करने वाले दाल व्यापारी श्याम गुप्ता कहते हैं, 'बाज़ार में माल कम है...मिल वाले दाल कम प्रोसेस कर रहे हैं...रिटेल व्यापारी ज़्यादा माल नहीं खरीद रहे...स्टॉक लिमिट तय करने का भी अरहर दाल की उपलब्धता पर फर्क पड़ रहा है।' दाल व्यापारियों की दलील है कि देश के कई शहरों में अरहर दाल का जितना स्टॉक पहुंचना चाहिये था उतना नहीं पहुंच पा रहा है। इसका नतीजा ये हुआ है कि रिटेल कीमतों अब भी बढ़ रही हैं।
हालांकि त्यौहारों के मौसम में अरहर दाल की मांग आम तौर पर घटती है और इस बार भी दाल व्यापारियों की दलील है कि जब मांग घटेगी तो कीमतें भी कम होंगी। दाल व्यापारी आनंद गर्ग कहते हैं, 'दीवाली के सीज़न में रिटेलर दाल पीछे कर दूसरे सामान जैसे ड्राई-फ्रूट्स और दूसरे गिफ्ट आइटम्स की बिक्री ज़्यादा करता है। त्यौहारों में लोग दाल कम खरीदते हैं, जब लोग दाल कम खरीदेंगे तो उनकी मांग भी घटेगी और कीमतें भी धीरे-धीरे कम होंगी। यानी अरहर दाल की कीमतें सामान्य होने के लिए आपको दिवाली खत्म होने का इंतज़ार करना पड़ेगा।
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