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This Article is From Dec 22, 2022

आरक्षण : भाजपा विधायक के नेतृत्व में एक लाख से अधिक पंचमसाली लिंगायत समुदाय का कर्नाटक में प्रदर्शन

पंचमसाली लिंगायत समुदाय के विभिन्न उप संप्रदायों का सबसे बड़ा घटक है. यह ज्यादातर किसान और खेती से जुड़े लोग हैं. यही वजह है कि वे प्रतीक के रूप में एक हल लेकर चलते हैं.

आरक्षण  : भाजपा विधायक के नेतृत्व में एक लाख से अधिक पंचमसाली लिंगायत समुदाय का कर्नाटक में प्रदर्शन
भाजपा विधायक के नेतृत्व में एक लाख से अधिक पंचमसाली लिंगायत समुदाय ने कर्नाटक में प्रदर्शन किया.
बेलगावी, कर्नाटक:

पंचमसाली लिंगायत समुदाय के एक लाख से अधिक लोगों ने आज बेलागवी के प्रतिष्ठित सुवर्ण सौधा पर बड़ा विरोध प्रदर्शन कर शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग की. कर्नाटक में सबसे प्रभावशाली लिंगायत समूह का पंचमसाली एक उप-संप्रदाय है. लिंगायत समूह राज्य की आबादी का लगभग 18 प्रतिशत है. भाजपा विधायक बसनगौड़ा पाटिल विरोध प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे हैं. बसनगौड़ा पाटिल पार्टी के वरिष्ठ नेताओं बीएस येदियुरप्पा और बीएस बोम्मई के खिलाफ मुखर रहे हैं.

लिंगायत आबादी का 60 प्रतिशत हिस्सा पंचमसाली लिंगायत है. इस समूह ने दावा किया है कि लिंगायत समुदाय का एक बड़ा हिस्सा होने के बावजूद उन्हें आवश्यक राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है. उनके पास कित्तूर कर्नाटक क्षेत्र में 100 से अधिक सीटों को प्रभावित करने की शक्ति है, जिसे पहले मुंबई-कर्नाटक क्षेत्र के रूप में जाना जाता था. कित्तूर कर्नाटक क्षेत्र में उत्तर कन्नड़, बेलगावी, गदग, धारवाड़, विजयपुरा, बागलकोट और हावेरी शामिल हैं.

पंचमसाली लिंगायत समुदाय के विभिन्न उप संप्रदायों का सबसे बड़ा घटक है. यह ज्यादातर किसान और खेती से जुड़े लोग हैं. यही वजह है कि वे प्रतीक के रूप में एक हल लेकर चलते हैं. वीरशैव लिंगायतों को वर्तमान में ओबीसी कोटे की 3बी श्रेणी के तहत 5 प्रतिशत आरक्षण मिलता है, वे 2ए में जाना चाहते हैं ताकि उन्हें 15 प्रतिशत मिले.अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले, आरक्षण का मुद्दा कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के लिए सिरदर्द बन गया है, क्योंकि कर्नाटक में ओबीसी के कई समुदाय भी अपने आरक्षण कोटे में वृद्धि की मांग कर रहे हैं.

पंचमसालिस, वोक्कालिगा और मराठा सहित कई समुदायों ने अपने आरक्षण कोटा में वृद्धि की मांग की है. कर्नाटक सरकार ने मंगलवार को राज्य में अनुसूचित जाति (15 प्रतिशत से 17 प्रतिशत) और अनुसूचित जनजाति (3 प्रतिशत से 7 प्रतिशत) के लिए आरक्षण बढ़ाने के लिए राज्य विधानसभा में एक विधेयक पेश किया था, जो सर्वोच्च न्यायालय का उल्लंघन था. कोटा पर 50 प्रतिशत की सीमा अनिवार्य है. अनुसूचित जाति राज्य की आबादी का 16 प्रतिशत है, और अनुसूचित जनजाति का 6.9 प्रतिशत है.

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