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'रेमल'... तप रही बंगाल की खाड़ी में उठ रहा 'रेत' का बवंडर, जानें कितना खतरा

यह बंगाल की खाड़ी में इस मॉनसून पूर्व मौसम का पहला चक्रवात है और हिंद महासागर क्षेत्र में चक्रवातों के नामकरण की प्रणाली के अनुसार इसका नाम रेमल रखा जाएगा. यह नाम उत्तरी हिंद महासागर क्षेत्र में चक्रवातों के नामकरण की एक प्रणाली के अनुसार ओमान ने दिया गया.

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'रेमल'... तप रही बंगाल की खाड़ी में उठ रहा 'रेत' का बवंडर, जानें कितना खतरा
कोलकाता:

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने शुक्रवार को बताया कि बंगाल की खाड़ी में बन रहा चक्रवात रविवार आधी रात को पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के बीच तट से टकराएगा. राज्य के तटीय जिलों और उत्तरी ओडिशा में भारी बारिश हो रही है.

यह बंगाल की खाड़ी में इस मॉनसून पूर्व मौसम का पहला चक्रवात है और हिंद महासागर क्षेत्र में चक्रवातों के नामकरण की प्रणाली के अनुसार इसका नाम रेमल रखा जाएगा. यह नाम उत्तरी हिंद महासागर क्षेत्र में चक्रवातों के नामकरण की एक प्रणाली के अनुसार ओमान ने दिया गया.

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आईएमडी ने शुक्रवार को जारी बुलेटिन में बताया कि यह चक्रवात शनिवार सुबह तक चक्रवाती तूफान में तब्दील हो जाएगा और शनिवार रात तक और भी तीव्र होकर एक गंभीर चक्रवाती तूफान का रूप ले लेगा. यह पश्चिम बंगाल के सागर द्वीप और बांग्लादेश के खेपुपारा के बीच तट से टकराएगा.

रविवार को चक्रवात के प्रभाव में हवा की गति 120 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच सकती है.

मौसम विभाग ने 26-27 मई को पश्चिम बंगाल और उत्तरी ओडिशा के तटीय जिलों में अत्यधिक भारी वर्षा की चेतावनी दी है. पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में 27-28 मई को अत्यधिक भारी वर्षा हो सकती है. तूफान के तट से टकराने के समय पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के तटीय इलाकों में 1.5 मीटर तक ऊंची लहरें उठ सकती हैं.

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मौसम विभाग के अनुसार समुद्र में मौजूद मछुआरों को सलाह दी गई है कि वे तट पर लौट जाएं और 27 मई तक बंगाल की खाड़ी में न जाएं. मौसम विभाग ने 26 और 27 मई को पश्चिम बंगाल के तटीय जिलों दक्षिण और उत्तर 24 परगना जिले के लिए ‘रेड अलर्ट' जारी किया है.

विभाग ने 26-27 मई को दक्षिण 24 परगना में 100 से 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलने और उत्तर 24 परगना में 90 से 100 किमी प्रति घंटे से 110 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलने की चेतावनी दी है, साथ ही दोनों स्थानों पर एक या दो स्थानों पर अत्यधिक भारी वर्षा का पूर्वानुमान है.

मौसम विभाग ने कोलकाता, हावड़ा, नादिया और पूर्व मेदिनीपुर जिलों के लिए ‘ऑरेंज अलर्ट' जारी किया गया है. इन जिलों में अगले दो दिनों में एक या दो स्थानों पर मूसलाधार बारिश के साथ 80 से 90 किमी प्रति घंटे से लेकर 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलने की चेतावनी दी है.

मौसम विभाग ने बताया कि सागर द्वीप से लगभग 660 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिणपूर्व में मध्य बंगाल की खाड़ी के ऊपर बना कम दबाव के क्षेत्र के 25 मई की सुबह तक चक्रवाती तूफान में तब्दील होने की संभावना है.

मौसम कार्यालय ने 25 मई को पूर्व मेदिनीपुर में भारी बारिश की संभावना जताई है. इस तटीय जिले के अंतर्गत आने वाली तामलुक और कांथी लोकसभा सीट पर शनिवार को मतदान होना है.

मौसम विभाग ने कहा कि उत्तर दिशा की ओर बढ़ते हुए, यह दबाव का क्षेत्र 25 मई की शाम तक एक गंभीर चक्रवाती तूफान में तब्दील हो जाएगा. आईएमडी ने कहा कि गंभीर चक्रवाती तूफान के 26 मई आधी रात के करीब सागर द्वीप और खेपुपारा के बीच बांग्लादेश और उससे सटे पश्चिम बंगाल के तटों को पार करने की काफी संभावना है.

हुगली, पूर्व बर्धमान और पश्चिम मेदिनीपुर जिलों में भारी बारिश के साथ हवा की गति 60 से 70 किमी प्रति घंटे से लेकर 80 किमी प्रति घंटे तक होने की संभावना है.

मौसम कार्यालय ने बताया कि दक्षिण बंगाल के बाकी जिलों में 40 से 50 किमी प्रति घंटे से लेकर 60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलेगी.

उत्तरी ओडिशा में, बालासोर, भद्रक और केंद्रपाड़ा के तटीय जिलों में 26-27 मई को भारी बारिश होगी, जबकि 27 मई को मयूरभंज में वर्षा होने की संभावना है.

आईएमडी ने पश्चिम बंगाल के दक्षिण और उत्तर 24 परगना जिलों में स्थानीय बाढ़ और कमजोर ढांचों, बिजली और टेलीफोन तार, कच्ची सड़कों, फसलों और बगीचों को बड़े पैमाने पर नुकसान होने की चेतावनी दी है. प्रभावित इलाकों में लोगों को घर के अंदर रहने और कमजोर संरचनाओं को खाली करने के लिए कहा गया है.

वैज्ञानिकों का कहना है कि समुद्र की सतह के तापमान अधिक होने से चक्रवाती तूफान तेजी से विकराल रूप ले रहे हैं और लंबे समय तक अपनी शक्ति बरकरार रख रहे हैं क्योंकि महासागर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से अधिकांश अतिरिक्त ऊर्जा अवशोषित कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि पिछले 30 वर्षों में समुद्र की सतह का तापमान 1880 में रिकॉर्ड किए जाने के बाद से सबसे अधिक रहा है.

आईएमडी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डी एस पाई के अनुसार, समुद्र की सतह के तापमान के गर्म होने का मतलब है अधिक नमी, जो चक्रवातों की तीव्रता के लिए अनुकूल है.

केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव माधवन राजीवन ने कहा कि कम दबाव के चक्रवात में तब्दील होने के लिए समुद्र की सतह का तापमान 27 डिग्री सेल्सियस और उससे अधिक होना चाहिए. बंगाल की खाड़ी में समुद्र की सतह का तापमान वर्तमान में लगभग 30 डिग्री सेल्सियस है.

राजीवन ने कहा, "बंगाल की खाड़ी और अरब सागर इस समय बहुत गर्म हैं, इसलिए उष्णकटिबंधीय चक्रवात आसानी से बन सकता है."हालांकि उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को न केवल महासागर नियंत्रित करते हैं, बल्कि वायुमंडल भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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