
शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया की राहत बरकरार है. सुप्रीम कोर्ट ने ड्रग मामले में दी गई जमानत को रद्द करने से इनकार कर दिया है. जमानत के खिलाफ पंजाब सरकार की याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट का आदेश देते हुए कहा कि मजीठिया 2022 से यानी ढाई साल से जमानत पर हैं. वो जांच में भी शामिल हो रहे हैं. लिहाजा हम हाईकोर्ट के जमानत के आदेश में दखल देने से इच्छुक नहीं हैं. कोई भी पक्ष जांच या अदालती कार्यवाही के मुद्दे पर मीडिया पर कोई बयान नहीं देगा. मजीठिया हम एक सप्ताह के भीतर रजिस्ट्री में इस संबंध में हलफनामा दाखिल करें कि वो अभियोजन पक्ष के किसी भी गवाह या मुकदमे की कार्यवाही को प्रभावित नहीं करेंगे. चूक की स्थिति में अभियोजन पक्ष सहारा लेने के लिए स्वतंत्र है. यदि अभियोजन अधिकारी कोई बयान देने के लिए आगे आ रहे हैं तो इस अदालत से पूर्व अनुमति लें. अन्यथा कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के माध्यम से कार्रवाई की जाएगी.
दरअसल मजीठिया को 2022 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने जमानत दे दी थी. जिसके खिलाफ पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. सुनवाई के दौरान पंजाब के वकील ने कहा था कि यह एक राजनीतिक प्रतिशोध है. 2013 से जब वे सत्ता में थे, तब से जांच चल रही थी. जांच में उनका नाम सामने आया. इस बारे में कुछ नहीं किया गया. एक अलग सरकार के प्रति जवाबदेह ईडी ने जांच की, जहां उनकी भूमिका सामने आई और कुछ नहीं किया गया. तथ्य यह है कि उनका नाम कई बार जांच में सामने आया है. 2021 में एफआईआर दर्ज की गई. वे अग्रिम जमानत पर चले गए और बाद में सहयोग की कमी के कारण उन्हें खारिज कर दिया गया. उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. उस समय मौजूदा एसआईटी पर प्रभाव डाला गया था. लेकिन कोर्ट ने कहा कि 2022 की जमानत दी गई. इतने समय के बाद जमानत आदेश को क्यों खारिज किया जाए.
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