धारावी को बदलने की कोशिशें धीरे-धीरे आकार ले रही हैं. पुनर्वास का विराट कार्यक्रम रफ़्तार पकड़ रहा है. अब घर-घर जाकर सर्वे हो रहा है कि इस पुनर्विकास कार्यक्रम में कौन जगह लेने का पात्र है. इस परियोजना के तहत हर किसी को घर देने का वादा है- मकान मालिकों, किरायेदारों और यहां तक कि इधर-उधर बसे लोगों को भी. एनडीटीवी ने धारावी रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के सीईओ एसवीआर श्रीनिवास से बातचीत की.

'सबको घर मिले' पर जोर: श्रीनिवास
एसवीआर श्रीनिवास ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि झुग्गियों को लेकर जो भी स्कीम आमतौर पर होती हैं, उनमें साफ होता है कि जो उस स्कीम के अनुरूप एलिजिबिल हैं उन्हें घर मिलेगा, जो नहीं हैं उन्हें नहीं मिलेगा... लेकिन धारावी में ज़ोर इस बात पर है कि 'सबको घर मिले' और इसका आधार ये है कि जो इस स्कीम के लिए एलिजिबिल हैं उन्हें धारावी के अंदर घर मिलेगा, जो एलिजिबिल नहीं हैं, उन्हें किराए पर उचित दामों के साथ घर मिल जाएगा. तो कुल मिलाकर घर सबके लिए.

अब तक 70 हजार घरों का हो चुका है सर्वे
अब तक 70,000 घरों का सर्वे हो चुका है. अगले कुछ महीनों में ये सर्वे पूरा हो जाएगा. इसके बाद लोगों को अस्थायी घरों में शिफ्ट किया जाएगा और फिर स्थायी मकान बनाए जाएंगे.
श्रीनिवास ने बताया कि सब-वे 70-80 प्रतिशत पूरा हो चुका है. करीब 90,000 यूनिट्स को नंबर मिल चुका है. इसको लेकर डिजिटल सर्वे हो रहा है और इसमें कई स्टेप्स हैं, जैसे डिजिटाइजेशन, डेटा का कलेक्शन और एनालिसिस.
मकानों के आवंटन के लिए एक पारदर्शी व्यवस्था जारी है. तो अब धारावी में एक व्यवस्थित जीवन और समाज आकार लेने जा रहा है.
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