कोरोना (Corona) संकट के बाद दुनिया भर में कई परिवर्तन हुए. भारत में भी हर क्षेत्र में परिवर्तन देखने को मिला. भारत के रियल एस्टेट के क्षेत्र में भी बड़े घरों का क्रेज बढ़ा है. साथ ही घर खरीदने वालों में बुजुर्गों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. कोरोना के बाद से बीते 4 साल के दौरान मुंबई में 61 और इससे अधिक उम्र के नागरिकों द्वारा खरीदी गई संपत्ति के रजिस्ट्रेशन में तेजी से वृद्धि हुई है. प्रॉपर्टी एडवाइजर फर्म नाइट फ्रैंक इंडिया द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2020 में बुजुर्गों ने 7,554 संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन कराया था, जबकि इस साल जुलाई तक ही वे 15,276 संपत्तियों का पंजीयन करा चुके हैं.
संपत्ति सलाहकार फर्म नाइट फ्रैंक इंडिया ने 2024 की पूरी अवधि में बुजुर्गों द्वारा संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन 23,000 के पार जाने का अनुमान लगाया है. इस तरह कोरोना के बाद से ये बढ़कर 3 गुना से अधिक हो सकता है. नाइट फ्रैंक के नेशनल डायरेक्टर रिसर्च विवेक राठी ने बताया कि कोविड के बाद मानसिकता बदली है, बड़े घरों की डिमांड बढ़ी है, बुजुर्ग ख़रीददारों का ये वर्ग बड़ा रोल प्ले कर रहा है बहुत ही जल्द तीन गुना रजिस्ट्रेशन इनकी ओर से बढ़ता हम देख रहे हैं.
30 से 45 आयु वर्ग के खरीदारों की संख्या में गिरावट
एक तरफ जहां वरिष्ठ नागरिक खरीदारी कर रहे हैं वहीं उसके उलट 30 से 45 आयु वर्ग वालों की हिस्सेदारी 2020 की 48% से घटकर इस साल जुलाई 40% पर आयी है.पिछले साल भी ये आंकड़ा 40 फीसदी था.युवाओं यानी 18 से 29 आयु वर्ग वालों की हिस्सेदारी 9% पर स्थिर बनी हुई है. तो अगेन 40 से 60 साल के नागरिकों की हिस्सेदारी एक फीसदी बढ़कर 33% हो गई है.
2020 की महामारी से मकान खरीदारों की मानसिकता में बदलाव आया है. महामारी के समय वरिष्ठ नागरिक अपने बच्चों के साथ एक मकान में रहे, जिसने बड़े घर खरीदने के निर्णयों को और प्रभावित किया. खरीदार बड़े और बेहतर रहने की स्थिति वाले मकानों की तलाश में हैं.
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