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This Article is From May 04, 2022

आरबीआई ने 4 साल में पहली बार ब्याज दर बढ़ाई, Home Loan समेत जानिए क्या-क्या महंगा होगा

Repo Rate Today : रेपो दर में बढ़ोतरी का सीधा मतलब है कि बैंक के लिए कर्ज की लागत बढ़ेगी. इसका बोझ बैंक ग्राहकों को दिए जाने वाले कर्ज की ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर डाल सकते हैं.

आरबीआई ने 4 साल में पहली बार ब्याज दर बढ़ाई, Home Loan समेत जानिए क्या-क्या महंगा होगा
RBI Interest Rate : रिजर्व बैंक ने नीतिगत ब्याज दरों में किया इजाफा
नई दिल्ली:

repo rate 2022 : रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति खासकर खाद्य पदार्थों की बढ़ती महंगाई को देखते हुए चार साल में पहली बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर दी है. आसार हैं कि बैंक जल्द ही अपनी कर्ज दरों में बढ़ोतरी कर सकते हैं, जिससे होम लोन, ऑटो लोन, पर्सनल लोन की ईएमआई बढ़ जाएगी. आरबीआई ने रेपो रेट को 4 से 4.40 फीसदी कर दिया है. जबकि कैश रिजर्व रेश्यो (CRR) को 4.5 से बढ़ाकर 5 फीसदी कर दिया है. आरबीआई ने यह अपनी निश्चित समायंतराल पर की जाने वाली मौद्रिक समीक्षा नीति से अलग हटकर अचानक यह बढ़ोतरी की है. केंद्रीय बैंक का अचानक उठाया गया ये कदम बाजार के लिए चौंकाने वाला रहा. हालांकि महंगाई के ऊंचे स्तर को देखते हुए पिछली 2-3 मौद्रिक समीक्षा के दौरान ब्याज दरों में बढ़ोतरी के आसार लगाए जा रहे थे, हालांकि ऐसा नहीं हुआ.

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मौद्रिक नीति समिति monetary policy committee (MPC)ने 2-4 मई के बीच सेंट्रल बोर्ड के साथ बैठक के दौरान यह निर्णय़ किया. रेपो रेट रिजर्व बैंक द्वारा अधिसूचित बैंकों को कम अवधि के लिए दिए जाने वाले कर्ज की ब्याज दर है. रेपो दर में बढ़ोतरी का सीधा मतलब है कि बैंक के लिए कर्ज की लागत बढ़ेगी. इसका बोझ बैंक ग्राहकों को दिए जाने वाले कर्ज की ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर डाल सकते हैं. इसका सीधा प्रभाव आपके घर, वाहन और पर्सनल लोन  की ईएमआई बढ़ना तय है.

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ऐसे में कार्मशियल बैंक और एनबीएफसी जल्द ही ब्याज दरों में वृद्धि का ऐलान कर सकते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि इससे नया कर्ज लोन वालों पर ज्यादा बोझ पड़ेगा. वहीं मौजूदा कर्जदारों, खासकर जिन्होंने फ्लेक्सिबल ब्याज दरों पर कर्ज लिया है, उनकी ईएमआई भी बढ़ जाएगी. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति की पिछली समीक्षा बैठक के दौरान संकेत दिया था कि कम ब्याज दरों का दौर जल्द ही खत्म होने वाला है.

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उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध, कच्चे तेल की ऊंची कीमतों, कच्चे माल की दुनिया भर में कमी जैसे कारकों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर का हवाला दिया है.

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अगर रेपो दर में बदलाव की बात करें तो यह मई 2020 यानी दो साल के बाद हुआ है, जबकि ब्याज दरों में बढ़ोतरी की बात करें तो यह चार साल बाद हुआ है. 

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बैंक जल्द ही अपनी ब्याज दरों में वृद्धि की घोषणा कर सकते हैं, जिससे हर तरह का लोन महंगा हो जाएगा. 

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