
- कोटा में बनाए जा रहे 215 फीट ऊंचे रावण पुतले का वजन करीब बारह टन होगा जिसमें नौ हजार पांच सौ किलो लोहा लगेगा
- रावण के सिर का मुख्य भाग पच्चीस फीट ऊंचा है तथा उसके नौ अन्य सिर तीन गुणा छह फीट आकार के अलग-अलग हैं
- इस बार रावण का दहन रिमोट कंट्रोल से किया जाएगा जिसमें पुतले में बीस जगह सेंसर लगाए गए हैं
कोचिंग सिटी कोटा का राष्ट्रीय दशहरा मेला इस बार इतिहास रचने जा रहा है. यहां तैयार हो रहा रावण का पुतला न केवल देश का सबसे ऊंचा होगा, बल्कि तकनीक और कारीगरी का अनोखा संगम भी पेश करेगा. 215 फीट ऊंचे इस विशाल पुतले का वजन करीब 12 टन होगा और इसमें 9500 किलो लोहा लगाया गया है. खास बात यह है कि पहली बार इसका दहन रिमोट से किया जाएगा.
पुतले को बनाया जा रहा है भव्य
हरियाणा के अंबाला से आए कारीगर तेजेंद्र चौहान और उनकी टीम पिछले चार महीनों से इस पुतले को तैयार करने में जुटी हुई है. रावण का धड़ मजबूत लोहे के स्ट्रक्चर पर बना है. उसका 25 फीट का मुख्य सिर और बाकी 9 सिर अलग-अलग 3x6 फीट के हैं. सिर्फ चेहरे का वजन ही 300 किलो है, जबकि मुकुट 60 फीट ऊंचा है, जिसे चार हिस्सों में तैयार किया गया है. रावण की मूंछें इस बार और भी घनी और ऊपर की ओर मुड़ी हुई होंगी. 50 फीट लंबी तलवार और 40 फीट की जूतियां इसे और खास बनाती हैं.

रावण परिवार के पुतले भी होंगे आकर्षण
कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले भी इस बार 60-60 फीट ऊंचे बनाए जा रहे हैं. प्रत्येक पुतले का वजन 1000 किलो होगा और इनमें 500-500 किलो लोहा लगा है. इनके चेहरे 10-10 फीट के हैं और वजन करीब 80-80 किलो है.

आधुनिक तकनीक का हो रहा है उपयोग
इतने विशाल पुतले को खड़ा करने के लिए 6 फीट गहरा और 25 फीट चौड़ा पक्का फाउंडेशन तैयार किया गया है. 2 क्रेन, जेसीबी और करीब 100 मजदूरों की मदद से रावण को सिर्फ 3 घंटे में खड़ा कर दिया जाएगा. दहन के लिए पुतले में 20 जगह सेंसर लगाए जा रहे हैं. रिमोट का बटन दबते ही पहले छत्र, फिर मुकुट और अंत में पूरा पुतला आतिशबाजी और पटाखों के साथ जल उठेगा.

बदला गया स्थान और दर्शकों का रोमांच
इस बार रावण दहन विजयश्री रंगमंच के बजाय किशोरपुरा थाने के सामने होगा, जहां पुतले का मुख कोटा थर्मल पावर प्लांट की ओर रहेगा. हालांकि इस बार पुतले में कोई मूवमेंट नहीं होगा न तलवार चलेगी, न आंखें. लेकिन एलईडी लाइट्स और आतिशबाजी इसे और भव्य बना देंगी.

करीब 20 मिनट तक चलने वाला यह दृश्य लाखों श्रद्धालुओं के लिए रोमांचक अनुभव होगा. आयोजन समिति और कारीगरों का दावा है कि यह दशहरा न केवल कोटा बल्कि पूरे देश के लिए यादगार और ऐतिहासिक बन जाएगा.
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