एक कॉलेज छात्रा के साथ रेप के आरोपी पूर्व केंद्रीय मंत्री चिन्मयानंद (Rape Accused Chinmayanand) को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि आरोपी पक्ष को रेप पीड़िता के मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए बयानों की कॉपी नहीं मिलेगी. शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के बयानों की कॉपी आरोपी चिन्मयानंद को देने के आदेश को बुधवार को रद्द कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 7 नवंबर, 2019 के आदेश के खिलाफ फैसला सुनाया, इस आदेश में कहा गया था कि चिन्मयानंद CRPC (आपराधिक प्रक्रिया संहिता) की धारा 164 के तहत दर्ज पीड़िता के बयान की प्रमाणित प्रति पाने के हकदार हैं. कोर्ट ने 2014 के अपने पिछले फैसले का हवाला देते हुए कहा कि एक बलात्कार पीड़िता का बयान अधिमानतः एक महिला मजिस्ट्रेट के सामने सीधे 24 घंटे के भीतर दर्ज किया जाना चाहिए.
बता दें कि 17 नवंबर, 2019 को ही सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी, जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री चिन्मयानंद को शाहजहांपुर के कानून की छात्रा द्वारा दर्ज किए गए बयान की प्रमाणित प्रति का उपयोग करने की अनुमति मिली थी. छात्रा ने चिन्यमयानंद के खिलाफ यौन उत्पीड़न और दुष्कर्म के आरोप लगाए हैं. कानून की छात्रा का बयान सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज किया गया था. पीठ ने नोटिस जारी कर उत्तर प्रदेश सरकार और चिन्मयानंद से छात्रा की याचिका पर जवाब मांगा था.
शाहजहांपुर कानून की छात्रा ने हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ अपील किया था. अपनी याचिका में, छात्रा ने कहा था कि आरोप पत्र दाखिल करने से पहले पीड़िता के बयान की एक प्रति देने का हाईकोर्ट का आदेश कानून के विपरीत था और इसके दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं. याचिका में कहा गया कि धारा 164 सीआरपीसी के तहत पीड़िता के बयान की प्रति लेने के लिए एक पूर्व शर्त यह है कि आरोप पत्र दायर किया गया हो और मजिस्ट्रेट द्वारा उसे संज्ञान में ले लिया गया हो.
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