यूपी के रामपुर में सड़क चौड़ी करने को लेकर एक वाल्मीकि बस्ती पर की जाने वाली कार्रवाई ने अब सांप्रदायिक और राजनीतिक रंग ले लिया है। अपने मकानों को बचाने के लिए वाल्मीकि समाज के कई परिवार अनशन कर रहे हैं। करीब 800 लोगों का दावा है कि वे अपने घर बचाने के लिए मुसलमान बनने को तैयार हैं।
अनशन कर रहे लोगों की मानें तो स्थानीय नगरपालिका के अधिकारियों ने उनसे कहा कि अगर वे अपना घर बचाना चाहते हैं और आज़म खान के गुस्से से बचना चाहते हैं, तो उन्हें मुसलमान बन जाना चाहिए।
प्रदर्शनकारियों की ओर से एक मौलवी को भी बुलाया गया, लेकिन मौलवी ने इस तरह से दबाव में धर्म परिवर्तन कराने से इनकार कर दिया। मामले के तूल पकड़ने के बाद स्थानीय ज़िलाधिकारी ने इन लोगों के घरों को जबरन न तोड़ने का फ़ैसला किया है, लेकिन इलाके के हालात अभी भी संवेदनशील बने हुए हैं और वाल्मीकि समाज के लोगों का प्रदर्शन जारी है।
इससे पहले बीजेपी से पहले जुड़ी रहीं नेता साध्वी प्राची को मंगलवार को रामपुर में पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया। बाद में पुलिस ने उन्हें रामपुर की सीमा से बाहर भेज दिया। बताया जा रहा है कि वह वाल्मीकि समाज के लोगों से मिलने पहुंचीं थीं। हालांकि पुलिस ने कड़ी मशक्कत के बाद उन्हें लोगों से मिलने से पहले ही गिरफ़्तार कर लिया, जिसके बाद उनके समर्थकों ने काफ़ी देर तक हंगामा किया।
उधर, वाल्मीकि समाज के लोगों को कथित रूप से मुस्लिम बनाने का आरोप लगाते हुए बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को शहर के विजयनगर चौराहे पर आजम खान का पुतला फूंका। इसको लेकर पुलिस और बीजेपी कार्यकर्ताओं में झड़प भी हुई। बीजेपी नेताओं का आरोप है कि पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिससे उसके दो कार्यकर्ता मामूली रूप से घायल हुए। वहीं पुलिस ने लाठीचार्ज की बात से इनकार किया।
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