- VBGRAMG बिल को संसद के दोनों सदनों से पारित कर राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा..
- यह बिल मनरेगा की जगह लेगा और ग्रामीण परिवारों को सालाना 125 दिन मजदूरी रोजगार की कानूनी गारंटी देगा.
- विपक्ष ने बिल के विरोध में संसद में वॉकआउट किया और संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन तथा धरना दिया.
विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) यानी VB-G RAM G बिल, 2025 संसद के दोनों सदनों से पारित हो गया है. शुक्रवार तड़के राज्यसभा में ध्वनिमत से बिल पास होने के बाद अब इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. यह विधेयक मौजूदा मनरेगा की जगह लेगा और ग्रामीण परिवारों को सालाना 125 दिन का मजदूरी रोजगार देने की गारंटी देता है, जो पहले 100 दिन थी.
विपक्ष का जोरदार प्रदर्शन
इस बिल के पेश किए जाने से ही सदन में हंगामा जारी है. लोकसभा हो या राज्यसभा, दोनों सदनों में इस बिल को लेकर भरपूर हंगामा देखने को मिला. ऐसे में कल यह बिल पास होते ही संसद परिसर में सियासी टकराव तेज हो गया. विपक्षी सांसदों ने आधी रात संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद पुरानी संसद के बाहर पूरी रात धरने पर बैठे और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की.
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राज्यसभा में बिल पर गुरुवार को आधी रात तक चर्चा हुई. इससे पहले विपक्षी सदस्यों ने विधेयक को सेलेक्ट कमिटी को भेजने की मांग की, लेकिन मांग स्वीकार न होने पर विपक्ष ने वॉकआउट कर दिया. इसके बाद गुरुवार देर रात बिल ध्वनिमत से पारित कर दिया गया.
लोकसभा में जमकर हंगामा
इससे पहले बुधवार को लोकसभा में इस विधेयक पर करीब 14 घंटे लंबी बहस हुई थी. भारी हंगामे और नारेबाजी के बीच गुरुवार को लोकसभा ने बिल को मंजूरी दी. विपक्षी सांसदों ने मनरेगा से महात्मा गांधी का नाम हटाने को लेकर विरोध जताया, वेल में हंगामा किया और बिल की प्रतियां फाड़कर सरकार के खिलाफ नारे लगाए.
महात्मा गांधी के नाम पर भी जमकर हुई सियासत
चर्चा के दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यह बिल गरीबों के कल्याण में अहम भूमिका निभाएगा और ग्रामीण रोजगार को मजबूत करेगा. उन्होंने कांग्रेस पर महात्मा गांधी के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाया.
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वहीं, राज्यसभा में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा कि वक्त आएगा जब इस कानून को भी तीन कृषि कानूनों की तरह वापस लिया जाएगा. कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि सत्ता में आने पर गांधी जी का नाम वापस लाया जाएगा और मनरेगा को मूल रूप में बहाल किया जाएगा.
इस बिल में क्या खास है?
- सरकार का कहना है कि यह कदम विकसित भारत 2047 के लक्ष्य के अनुरूप है, जिससे ग्रामीण मजदूरों को ज्यादा रोजगार सुरक्षा मिलेगी और गांवों में टिकाऊ ढांचा तैयार होगा.
- नए कानून के तहत ग्रामीण परिवारों को मिलने वाले रोजगार की कानूनी गारंटी 100 दिन से बढ़ाकर 125 दिन प्रति वर्ष कर दी गई है.
- इससे ग्रामीण मजदूरों की आय में स्थिरता आएगी और उन्हें ज्यादा काम का भरोसा मिलेगा.
राज्यों पर बढ़ेगा बोझ-विपक्ष
अब यह योजना केंद्रीय सेक्टर स्कीम न होकर केंद्र प्रायोजित योजना होगी. फंडिंग का अनुपात सामान्य राज्यों के लिए 60:40, उत्तर-पूर्वी और हिमालयी राज्यों के लिए 90:10 और बिना विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 100 प्रतिशत केंद्र का होगा. अनुमानित वार्षिक खर्च 1.51 लाख करोड़ रुपये है, जिसमें केंद्र का हिस्सा करीब 95,692 करोड़ रुपये होगा. इसी को लेकर प्रियंका गांधी ने भी सरकार को घेरते हुए कहा था कि इस बिल के आने से राज्यों पर बोझ बढ़ेगा.
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बेरोजगारी भत्ता रहेगा जारी
मनरेगा की तरह ही नए कानून में भी बेरोजगारी भत्ते का प्रावधान बरकरार रखा गया है. अगर काम मांगने के 15 दिनों के भीतर रोजगार नहीं दिया जाता, तो राज्य सरकार को प्रतिदिन बेरोजगारी भत्ता देना होगा. इससे रोजगार की कानूनी गारंटी और मजबूत होगी.
बिल के पारित होने के साथ ही सरकार जहां इसे ग्रामीण रोजगार के लिए बड़ा सुधार बता रही है, वहीं विपक्ष ने संकेत दिए हैं कि इसका विरोध संसद से सड़क तक जारी रहेगा.
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