चीन से लगी सीमा (LAC) के पास पूर्वी लद्दाख में एक नया फाइटर बेस बनने जा रहा है. न्योमा के इस एयबेस ( Nyoma airfield in Ladakh) से भारतीय वायुसेना को रणनीतिक तौर काफी फायदा होगा. इस एयरफील्ड की खासियत ये है कि चीन यहां से सिर्फ़ 35 किलोमीटर दूर है. अगले तीन साल के भीतर यहां वायुसेना का एयरबेस तैयार होगा.
रक्षा मंत्री आज रखेंगे न्योमा एयबेस की आधारशिला
इसका मतलब है कि लड़ाकू विमान यहां उतर भी सकेंगे और यहां से उड़ान भी भर सकेंगे. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज इस परियोजना की आधारशिला रखने जा रहे हैं. आज सोशल मीडिया साइट एक्ट पर उन्होंने कहा कि बॉर्डर रोड ऑरगेनाइजेश (BRO) ने भारत के बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
नए फाइटर एयरबेस पर क़रीब 218 करोड़ की आएगी लागत
आपको बता दें कि इस नए फाइटर एयरबेस पर क़रीब 218 करोड़ की लागत आएगी. ये दुनिया का सबसे ऊंचा एयरबेस होगा. यहां होने का मतलब वो सामरिक मज़बूती है जिसकी चीन के खिलाफ़ भारत को ज़रूरत थी. अभी फुकचे , दौलत बेग ओल्डी और न्योमा में एडवांस लैंडिंग ग्राउंड हैं, जहां सिर्फ ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट ही उड़ान भर सकते हैं. अब न्योमा में फाइटर बेस बनने से वायुसेना की बढ़ी हुई ताक़त का एक और पैमाना होगा.
लद्दाख में बनने जा रहा तीसरा फाइटर एयरबेस
यह लद्दाख का तीसरा फाइटर एयरबेस होने जा रहा है. फिलहाल लद्दाख में लेह और परतापुर में दो फाइटर एयरफील्ड हैं, जहां से फाइटर ऑपरेशन होते हैं. बीते तीन साल से ख़ास कर चीन से जो टकराव चल रहा है, उसमें इस एयरबेस का बनना काफी अहम बात है. इसकी तैयारी भर से बातचीत की मेज़ पर भारत का दावा कुछ और मज़बूत हो जाएगा.
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