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This Article is From Dec 30, 2020

किसान आंदोलन पर बोले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह- सिखों की ईमानदारी पर कोई सवाल नहीं

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने आंदोलन कर रहे किसानों को खालिस्तानी और माओवादी कहे जाने पर कड़ी आपत्ति जताई है.

किसान आंदोलन पर बोले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह- सिखों की ईमानदारी पर कोई सवाल नहीं
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

नए कृषि कानूनों (Farm Laws) को निरस्त करने की मांग को लेकर पंजाब समेत कई राज्यों के किसान दिल्ली बॉर्डर पर डटे हुए हैं. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने बुधवार को किसानों को खालिस्तानी और माओवादी कहे जाने पर कड़ा ऐतराज जताया. उन्होंने कहा कि किसानों पर इस तरह के आरोप नहीं लगाए जाने चाहिए. ANI से खास बातचीत में रक्षा मंत्री ने कहा कि नए कृषि कानून किसानों के हित के लिए बनाए गए हैं और आंदोलन कर रहे किसानों को दो साल के लिए उनके कार्यान्वयन को देखना चाहिए.

राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार प्रदर्शन कर रहे किसानों की पीड़ा को समझ रही है. सिखों की ईमानदारी पर कोई सवाल नहीं उठता. प्रदर्शनकारी किसानों को माओवादी और खालिस्तानी बताए जाने पर उन्होंने कहा, 'इस तरह के आरोप किसी के भी द्वारा नहीं लगाए जाने चाहिए. हम किसानों का दिल से सम्मान करते हैं. उनके सम्मान में हम सिर झुकाते हैं. वे हमारे अन्नदाता हैं. आर्थिक मंदी के समय किसानों ने इससे उबारने की जिम्मेदारी ली थी. वे अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं. उन्होंने कई बार देश को संकट से निकाला है.'

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उन्होंने आंदोलन कर रहे किसानों को सुझाव दिया है कि वे कानून से जुड़े सभी पहलुओं पर चर्चा करें. अगर उन्हें लगता है कि इस कानून में कुछ भी उनके खिलाफ है तो सरकार उनकी समस्याओं को दूर करेगी. राजनाथ सिंह का यह बयान आज (बुधवार) किसानों और सरकार के बीच होने वाली बातचीत से पहले आया है. अपने बयान में उन्होंने किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए विपक्षी दलों पर भी हमला बोला.

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राजनाथ सिंह ने कहा, 'कुछ ताकतों ने किसानों के बीच कुछ गलतफहमियां पैदा करने की कोशिश की हैं. हमने कई किसानों से बात भी की है. किसानों से मेरा निवेदन है कि वे कानून के हर बिंदु पर चर्चा करें, हां और न के साथ नहीं. हम हर समस्या का समाधान करेंगे. मैंने नए कानूनों को पढ़ा है और मैं किसानों की समस्याओं से अच्छी तरह से वाकिफ हूं. किसानों को प्रयोग के तौर पर कम से कम दो साल तक इन्हें देखना चाहिए. अगर कहीं जरूरत है तो हम उसमें सुधार को तैयार हैं.'

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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