
Rajasthan Political Crisis: राजस्थान की सियासी जंग बहुजन समाज पार्टी की 'संभावित एंट्री' से दिलचस्प हो गई है. ऐसे समय जब सचिन पायलट के बागी तेवरों के बीच सीएम अशोक गहलोत के सामने अपनी सरकार बचाने की चुनौती है. दूसरी ओर बीजेपी मौजूदा घटनाक्रम को अपने लिए बड़े मौके के तौर पर देख रही है. इस बीच मायावती की बीएसपी ने अपने संभावित अगले कदम से सियासी सुगबुगाहट तेज कर दी है. ऐसे समय जब सचिन पायलट के बागी तेवरों के बीच अशोक गहलोत अपने खेमे के विधायकों को सहेजने में जुटे हैं, बहनजी यानी मायावती उनका 'खेल खराब' सकती हैं. ऐसी खबरें आ रही है कि राज्य में बहुजन समाज पार्टी, कांग्रेस को कोर्ट में घसीट सकती है. मायावती की पार्टी के 6 विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के मामले में पार्टी कांग्रेस को अदालत में चुनौती दे सकती है. जानकारी के अनुसार, बुधवार शाम तक इस बारे में निर्णय की संभावना है.
दरअसल, जब राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार बनी थी तब बीएसपी के छह विधायक सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे थे. कांग्रेस ने सितंबर 2019 में इन विधायकों को कांग्रेस में करा लिया. जनवरी महीने की शुरुआत में इन विधायकों ने सोनिया गांधी ने मिलकर पार्टी की औपचारिक सदस्यता ले ली थी. बीएसपी का मानना रहा कि कांग्रेस ने लालच-प्रलोभन देकर उसके विधायकों को तोड़ा है. बीएसपी ने कांग्रेस के इस कदम की आलोचना की थी और पार्टी सुप्रीमो मायावती ने अशोक गहलोत का इस्तीफा तक मांगा था. यही नहीं, बीएसपी यह मुद्दा लेकर चुनाव आयोग के पास लेकर भी पहुंची थी लेकिन आयोग ने इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया था. अब बीएसपी इसी मुद्दे पर कांग्रेस को कोर्ट लेकर जाना चाहती है.
बसपा की सियासी संग्राम में संभावित एंट्री ने अशोक गहलोत की मुश्किलें बढ़ा दी हैं.अशोक पहले ही सचिन पायलट के बागी तेवरों के मद्देनजर अपनी सरकार बचाने की चुनौती का सामना कर रहे हैं. पायलट के बगावत पर उतरने के बाद कांग्रेस पार्टी ने उन्हें डिप्टी सीएम और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया था. पायलट को दो विश्वस्तों को भी मंत्री पद से हटा दिया गया था. इस समय विधायकों के संख्या बल के मामले में सीएम अशोक गहलोत की स्थिति कुछ बेहतर नजर आ रही लेकिन सियासत कब क्या मोड़ ले ले, कहा नहीं जा सकता. कांग्रेस के विधायकों को रिसॉर्ट में रखा जा रहा है. राजस्थान में विधायकों की संख्या बल के लेकर उलझन की स्थिति के बीच गहलोत सरकार को सदन में फ्लोर टेस्ट की 'परीक्षा' देनी पड़ सकती है.
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