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This Article is From Dec 30, 2023

राजस्थान: बीजेपी ने चुनाव लड़ रहे सुरेन्द्रपाल सिंह टीटी को मंत्री बनाया

राज्य मंत्रिपरिषद के विस्तार के लिए शपथ ग्रहण समारोह यहां राजभवन में आयोजित हुआ, जहां 12 को कैबिनेट, पांच को राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) व पांच को राज्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई.

राजस्थान: बीजेपी ने चुनाव लड़ रहे सुरेन्द्रपाल सिंह टीटी को मंत्री बनाया
राज्य मंत्रिपरिषद के विस्तार के लिए शपथ ग्रहण समारोह यहां राजभवन में आयोजित हुआ
  • वोटों की गिनती आठ जनवरी को होगी
  • छह दिसंबर तक यहां 2 लाख 40826 मतदाता थे
  • शपथ ग्रहण समारोह यहां राजभवन में आयोजित हुआ
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जयपुर:

राजस्थान में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने करणपुर सीट से चुनाव लड़ रहे पूर्व मंत्री सुरेन्द्रपाल सिंह टीटी को शनिवार को मंत्रिपरिषद में शामिल किया. इस सीट पर पांच जनवरी को मतदान होना है. कांग्रेस पार्टी ने इसके लिए भाजपा की आलोचना की है. राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि यह भाजपा आलाकमान के अहंकार को दर्शाता है.

राज्य मंत्रिपरिषद के विस्तार के लिए शपथ ग्रहण समारोह यहां राजभवन में आयोजित हुआ, जहां 12 को कैबिनेट, पांच को राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) व पांच को राज्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई. राज्यपाल कलराज मिश्र ने राजभवन में विधायकों और सुरेन्द्रपाल सिंह टीटी को पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई.

वोटों की गिनती आठ जनवरी को होगी
टीटी ने राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में शपथ ली. टीटी करणपुर सीट से भाजपा के उम्मीदवार हैं. राज्य में विधानसभा की 200 में से 199 सीटों के लिए 25 नवंबर को मतदान हुआ. इसका परिणाम तीन दिसंबर को घोषित किया गया. करणपुर गंगानगर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी और तत्कालीन विधायक गुरमीत सिंह कुन्नर के निधन के कारण चुनाव स्थगित कर दिया गया था. इस सीट पर अब पांच जनवरी को मतदान होगा. वोटों की गिनती आठ जनवरी को होगी.

छह दिसंबर तक यहां 2 लाख 40826 मतदाता थे
इस सीट पर भाजपा की ओर से पूर्व मंत्री सुरेंद्रपाल उम्मीदवार हैं तो कांग्रेस ने कुन्नर के बेटे रुपिंदर सिंह को प्रत्याशी बनाया है. करणपुर विधानसभा क्षेत्र में कुल 249 मतदान केंद्र हैं. छह दिसंबर तक यहां 2 लाख 40826 मतदाता थे.

वहीं कांग्रेस ने टीटी को मंत्री बनाए जाने की आलोचना की है. पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 'एक्स' पर लिखा, ‘‘करणपुर में 5 जनवरी को होने वाले मतदान की आचार संहिता के प्रभावी होने के बावजूद वहां से भाजपा प्रत्याशी को मंत्री बनाना आचार संहिता का स्पष्ट उल्लंघन एवं वहां के मतदाताओं को प्रभावित करने का प्रयास है. निर्वाचन आयोग को इस पर संज्ञान लेकर अविलंब कार्रवाई करनी चाहिए.''

उन्होंने लिखा, ‘‘इस तरह के असंवैधानिक कदम उठाना लोकतंत्र में दुर्भाग्यपूर्ण है. यह भाजपा आलाकमान के अहंकार को दर्शाता है.'' वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि पार्टी इस मामले को निर्वाचन आयोग के सामने उठाएगी.

डोटासरा ने 'एक्स' पर लिखा, ‘‘भाजपा का अहंकार सातवें आसमान पर है. भाजपा ने निर्वाचन आयोग को ठेंगा दिखाकर आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए करणपुर से भाजपा प्रत्याशी सुरेंद्रपाल टीटी को मंत्री पद की शपथ दिलाई है.''

उन्होंने लिखा, ‘‘संभवतः देश में यह पहला मामला है जब चुनाव से पूर्व भाजपा ने अपने प्रत्याशी को मंत्री बनाया है, कांग्रेस इस मामले को निर्वाचन आयोग के संज्ञान में लाकर कार्रवाई की मांग करेगी.''

कांग्रेस नेता व पूर्व विधायक संयम लोढ़ा ने इस मुद्दे को उठाते हुए 'एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘करणपुर विधानसभा क्षेत्र के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सुरेंद्रपाल टीटी को मंत्री पद की शपथ दिलाना, आदर्श आचार संहिता का खुला उल्लंघन है. राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता से फोन पर बातचीत कर तत्काल कार्यवाही की मांग की.''

राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भी इस मुद्दे को उठाया. उन्होंने 'एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘मगर भाजपा ने आचार संहिता के बीच अपने प्रत्याशी को मंत्री पद देकर करणपुर के मतदाताओं को प्रलोभन देने जैसा काम किया है. करणपुर की स्वाभिमानी जनता इस अलोकतांत्रिक और अमर्यादित कदम के पीछे की राजनीति को समझ रही है. निर्वाचन आयोग को इस मामले का संज्ञान लेकर, उचित कार्रवाई करनी चाहिये.''

वहीं भाजपा की ओर से पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने अपनी पार्टी के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि टीटी की राज्यमंत्री के रूप में ली गई शपथ संविधान के प्रावधानों के अनुरूप ही है. उन्होंने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘संविधान के अनुच्छेद 164 (4) में निहित प्रावधानों के तहत किसी भी व्यक्ति को बिना निर्वाचित हुए 6 माह तक मंत्री पद धारण करने का अधिकार है. इस संवैधानिक प्रावधान के अनुसार मुख्यमंत्री की सलाह पर महामहिम राज्यपाल द्वारा किसी भी व्यक्ति को मंत्री पद की शपथ दिलाई जा सकती है. उसके बाद 6 महीने के अंदर उसे विधानमंडल का सदस्य निर्वाचित होना जरूरी है.''

राठौड़ ने कहा, ‘‘संविधान की तीसरी अनुसूची के अनुसार ली गई शपथ किसी प्रकार की आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है. पूर्ववर्ती सरकार में भी मंत्री पद पर रहते हुए दर्जनों मंत्रियों ने चुनाव लड़ा है

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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