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This Article is From Mar 07, 2018

भारतीय रेल कोहरे की समस्या से निपटने के लिए यूरोपीय प्रणाली की ले रही मदद

रेल मंत्री ने कहा कि नवंबर 2017 से फरवरी 2018 तक कोहरा प्रभावित क्षेत्रों में गाड़ियों के असामान्य रूप से देरी से चलने के कारण दैनिक आधार पर परिचालनिक दृष्टि से गाड़ियों को रद्द किया गया.

भारतीय रेल कोहरे की समस्या से निपटने के लिए यूरोपीय प्रणाली की ले रही मदद
रेल मंत्री पीयूष गोयल (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: भारतीय रेल कोहरे की समस्या से निपटने के लिये यूरोपीय ट्रेन नियंत्रण प्रणाली और ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम आधारित ‘फॉग पास डिवाइस’ की मदद ले रही है. रेल मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा में यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि कोहरे के मौसम के दौरान परिचालन संबंधी अवरोधों से निपटने के उद्देश्य से भारतीय रेल ने नवंबर 2017 से 13 फरवरी 2018 के दौरान मेल एक्सप्रेस गाड़ियों की प्रतिदिन लगभग 40 गाड़ी सेवाएं रद्द कीं. गोयल ने लोकसभा में निशिकांत दूबे और राजेश पाण्डेय के प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि एक दिसंबर 2017 से 13 फरवरी 2018 की अवधि के दौरान 24 जोड़ी मेल एक्सप्रेस गाड़ियों को योजनाबद्ध ढंग से रद्द करना और 29 जोड़ी मेल एक्सप्रेस गाड़ियों के फेरों में कटौती की गई. 

रेल मंत्री ने कहा कि नवंबर 2017 से फरवरी 2018 तक कोहरा प्रभावित क्षेत्रों में गाड़ियों के असामान्य रूप से देरी से चलने के कारण दैनिक आधार पर परिचालनिक दृष्टि से गाड़ियों को रद्द किया गया. उन्होंने कहा कि रेलवे की आर्थिक हानि की गणना गाड़ी के हिसाब से अथवा गाड़ियों के समयपालन के आधार पर नहीं की जाती है.

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इसलिए रेलवे में गाड़ियों के रद्द होने अथवा विलंब से चलने के कारण होने वाली हानि से संबंधित आंकड़े नहीं रखे जाते हैं. गोयल ने कहा कि कोहरे के मौसम में गाड़ियों के विलंब से परिचालन से बचने के लिए और कोहरा प्रभावित स्वचालित ब्लाग सिग्नल खंडों में संरक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए परिवर्तित स्वचालित सिग्नल लगाए गए हैं जहां स्टेशनों के बीच केवल दो ही गाड़ियों को चलाने की अनुमति है. उन्होंने कहा कि भारतीय रेल ने 342 मार्ग किलोमीटर पर यूरोपीय ट्रेन नियंत्रण प्रणाली लेवल 1 के अनुरूप स्वचलित गाड़ी सुरक्षा व्यवस्था लागू की है जिसमें रेलपथ पर लगाए गए उपकरण (बैलिस) से होकर रेल इंजन के गुजरने पर लोको कैब में प्रदर्शित की गई यात्रा करने की दूरी को अपडेट किया जाता है. इससे लोको पायलट को कोहरे अथवा किसी अन्य कारण से सिग्नल न दिखाई देने की स्थिति में आगे आने वाले सिग्नलों के बारे में पता चल जाता है.

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गोयल ने बताया, ‘भारतीय रेल ने 60 हजार किलोमीटर मार्ग के अपने समूची बड़ी लाइल नेटवर्क पर यूरोपीय ट्रेन नियंत्रण प्रणाली लेवल 2 नामक स्वचालित ट्रेन संरक्षण प्रणाली का उन्नत प्रारूप लागू करने की योजना बनाई है.’ उन्होंने कहा कि इसके साथ ही ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम आधारित ‘फॉग पास डिवाइस’ विकसित किया गया है जो कम दृश्यता वाली स्थितियों के दौरान काफी मददगार है.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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