- भारतीय रेलवे ने स्पष्ट किया है कि ट्रेनों में परोसे जाने वाले नॉन-वेज खाने के लिए हलाल सर्टिफिकेशन जरूरी नहीं
- रेलवे का कहना है कि IRCTC केवल फूड सेफ्टी और FSSAI के तय मानकों के अनुरूप ही नॉन-वेज फूड परोसता है
- NHRC ने नॉन-वेज खाने में केवल हलाल मीट परोसने की शिकायत पर रेलवे को नोटिस जारी कर 2 हफ्ते में रिपोर्ट मांगी है
भारतीय रेलवे की ओर से नॉन-वेज खाने में केवल हलाल मीट परोसे जाने को लेकर उठी चिंताओं पर सफाई पेश की है. NHRC ने इस मामले को मानवाधिकार उल्लंघन से जुड़ा बताते हुए रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को नोटिस जारी किया है और 2 हफ्ते में डिटेल्ड रिपोर्ट पेश करने को कहा है. रेलवे का कहना है कि ऐसा कोई नियम नहीं है कि ट्रेनों में दिया जाने वाला खाना हलाल सर्टिफाइड ही होना चाहिए.
सोशल मीडिया पर जुलाई 2023 में यह सवाल उठाया गया था कि क्या रेलवे सिर्फ हलाल मीट ही परोसता है. तब रेलवे ने साफ तौर पर कहा था कि IRCTC केवल वही नॉन-वेज भोजन (चिकन) परोसता है, जो FSSAI और फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट 2006 के तय मानकों के अनुसार होता है.
अब NHRC ने लीगल राइट्स ऑब्जर्वेटरी और डॉक्टर अंबेडकर जनकल्याण समिति की शिकायत पर रेलवे बोर्ड को नोटिस जारी किया है. NHRC से शिकायत की गई है कि ट्रेनों में परोसे जाने वाले नॉन-वेज खाने में सिर्फ हलाल प्रोसेस्ड मीट इस्तेमाल किया जाता है.
इस पर रेलवे ने स्पष्ट किया है कि ऐसा कोई नियम नहीं है कि ट्रेनों में परोसे जाने वाला भोजन हलाल सर्टिफाइड ही हो. भारतीय रेलवे सरकार द्वारा तय किए गए फूड सेफ्टी के सभी मानकों का पालन करता है.
कहा गया है कि रेलवे के कैटरिंग लाइसेंसधारी और वेंडर FSSAI के नियमों के अनुसार ही भोजन बनाते हैं और परोसते हैं. IRCTC भी रेलवे और FSSAI के सभी निर्देशों और गाइडलाइन्स का पूरी तरह पालन करता है ताकि यात्रियों को सुरक्षित और मानक वाला भोजन मिल सके.
रेलवे में खान-पान को लेकर शिकायतकर्ता का आरोप है कि भारतीय रेलवे नॉन-वेज में केवल हलाल प्रक्रिया से तैयार मीट ही उपलब्ध कराता है. यह नीति धार्मिक आधार पर भेदभाव करती है और यात्रियों की स्वतंत्र पसंद के खिलाफ है. इससे हिंदू और सिख यात्रियों को उनकी धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक भोजन नहीं मिल पाता, जो उनके धार्मिक अधिकार, समानता के अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के खिलाफ है.
एनएचआरसी ने रेलवे को जारी अपने नोटिस में कहा है कि सरकारी संस्थान होने के नाते रेलवे को देश के सभी धार्मिक समुदायों की खान-पान की आदतों और अधिकारों का सम्मान करना चाहिए. सिर्फ हलाल मीट परोसने की व्यवस्था सेक्युलर सिद्धांतों, समानता और गैर-भेदभाव के खिलाफ मानी जा सकती है.
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