लक्षद्वीप के राष्ट्रवादी कांग्रेस (NCP) के सांसद मोहम्मद फैज़ल की संसद की सदस्यता सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से ठीक पहले लोकसभा सचिवालय ने आज बहाल कर दी है. लोकसभा सचिवालय ने इसे लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. दो महीने का समय बीतने पर सांसद सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. फैज़ल ने याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट में अपनी लोकसभा सदस्यता बहाल करने की मांग की है.
मोहम्मद फैज़ल ने NDTV से बातचीत में कहा कि, ''मैंने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी. कल कोर्ट ने लिस्ट किया था. हमें केस वहां पहुंचने की उम्मीद नहीं थी, तो हमारे वकील ने स्पेशल मेंशन की कि मेंबरशिप अटकी हुई है. तो माननीय जज ने आज सुनवाई करने का आदेश दिया था. जज साहब ने सवाल किया था कि ये फंडामेंटल राइट में आता है या नहीं?''
लक्षद्वीप के एनसीपी के सांसद ने कहा कि, ''आज पूरी तैयारी के साथ सुनवाई होनी थी. आज सुबह लोकसभा सेक्रेट्रिएट से कॉल आया कि मेंबरशिप बहाल हो गई है, आदेश मिला. आज मैं गया, मैंने साइन किया और पहला सेशन अटेंड किया.''
फैजल ने कहा कि, ''वापस लोकसभा जाने में दो महीने लग गए. मुझे दो महीना बाहर रखा, इसकी वजह क्या है, मुझे आज भी नहीं पता. उन्होंने कहा कि, 11 जनवरी को देषी करार दिया गया था. मुझे 10 साल की सजा सुनाई गई थी. यह 25 जनवरी को हाइकोर्ट ने रद्द किया था.''
उन्होंने कहा कि, ''मैंने लोकसभा सेक्रेट्रिएट में, ऑफिस में लगातार चक्कर काटे, क्योंकि मेरा यह हक है. लक्षद्वीप से मैं एक ही एमपी आता हूं. वहां के लोगों की समस्याओं को बाहर लाना मेरा हक और जिम्मेदारी है. मेरी सदस्यता छीनने का अधिकार नहीं है. सब जानने के बाद भी मेरी सदस्यता नहीं दी जा रही थी, इसलिए मुझे सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा.''
सांसद ने कहा कि, ''11 जनवरी को सेशन कोर्ट में कन्विक्शन हुआ था. उसी दिन शाम को मैंने हाईकोर्ट में अपील कर दी. 12 जनवरी को मैंने अपील दायर की कि मेरा कंन्विक्शन रद्द किया जाए. ये दोनों मैंने डिसक्वालिफिकेशन से पहले हाईकोर्ट में डाल दिया था. फिर भी हाईकोर्ट से आदेश आने से पहले ही 13 तारीख को लोकसभा सेक्रेट्रिएट ने मेरे डिसक्वालिफिकेशन का ऑर्डर निकाला.
18 जनवरी को प्रेस नोट निकाला कि मेरी सीट पर बाई इलेक्शन होगा. इसके बाद मैंने हाइकोर्ट में लड़ाई लड़ी.''
उन्होंने कहा कि, ''सुप्रीम कोर्ट में मैंने चुनाव आयोग के खिलाफ बाई इलेक्शन को लेकर अपील की, क्योंकि ऐसा हुआ तो सरकार के लिए ठीक नहीं. हाईकोर्ट ने कन्विक्शन रद्द करने का ऑर्डर आया,
फिर सुप्रीम कोर्ट में स्टेटमेंट रिकॉर्ड हुआ. फिर उन्होंने एक नोटिस निकाला कि लक्षद्वीप का बाई इलेक्शन रद्द हो गया है.''
सांसद ने कहा कि, ''ये सारी चीजें इतनी जल्दबाज़ी में करने की ज़रूरत नहीं है. अभी राहुल गांधी का मामला कोर्ट में लंबित है. इस पर क्या निर्णय होगा, देखने वाला होगा. जैसे मेरे केस में हुआ. राहुल गांधी के मामले में भी उन्हें वापस लेना होगा.''
फैजल ने कहा कि, ''मुझे उम्मीद न्याय व्यवस्था से थी. मेरे जजमेंट में बहुत लूप होल्स थे. सारी बातें जब हाईकोर्ट के सामने आईं तो कोर्ट को सब समझ आ गया. चुनाव के नोटिफिकेशन को रद्द करना पड़ा. सरकार ने शायद यह सोचा होगा कि चुनाव का नोटिफिकेशन आने के बाद शायद मेरा केस ढीला हो जाएगा. इसलिए जल्दी नोटिफिकेशन दिया गया. राहुल के केस में भी उन्होंने यही सोचा होगा.''
उन्होंने कहा कि, ''मैंने शरद पवार जी ने साथ में स्पीकर से मुलाकात की. उन्होंने दो बार स्पीकर से फोन पर बात की. सुप्रिया सुले जी ने भी बात की थी.''
राहुल गांधी का संसद सदस्यता खत्म होने के मामले में उन्होंने कहा कि, ''उनको आगे की अदालत में जाना चाहिए जिससे उनका कन्विक्शन रद्द हो. वे संसद में वापस आएं, यह सब चाहते हैं.''
लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल को हत्या के प्रयास केस में 10 साल की सजा मिली थी. इसलिए उनको अयोग्य करार दिया गया था, लेकिन केरल हाईकोर्ट ने उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगा दी थी. उसके बावजूद लोकसभा सचिवालय ने उनकी अयोग्यता का फैसला वापस नहीं लिया. फैज़ल ने सुप्रीम कोर्ट में अयोग्यता का आदेश वापस लेकर लोकसभा की सदस्यता बहाल करने की मांग की. दरअसल, आपराधिक मामले में पूर्व सांसद मोहम्मद फैज़ल की सजा के निचली अदालत के फैसले के बाद 13 जनवरी को लोकसभा महासचिव ने उनकी अयोग्यता की घोषणा करते हुए एक अधिसूचना जारी कर दी थी.
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