- पुणे की अदालत ने सत्यकी सावरकर की राहुल गांधी के विवादित बयान का वीडियो चलाने की याचिका खारिज कर दी
- सत्यकी की अतिरिक्त सीडी चलाने की याचिका भी कोर्ट ने नामंजूर कर दी क्योंकि रिकॉर्ड में सीडी मौजूद नहीं थी
- जांच में पता चला कि १४ नवंबर को पेश की गई सीडी में कोई डेटा नहीं था इसलिए उसे चलाया नहीं जा सका
पुणे की एक अदालत ने सत्यकी सावरकर की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी एवं हिंदुत्व विचारक वीडी सावरकर के बारे में राहुल गांधी के कथित 2023 के विवादित बयान का यू-ट्यूब वीडियो अदालत में चलाने की अनुमति देने का अनुरोध किया था. इसके बाद सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की विशेष अदालत ने बृहस्पतिवार को सत्यकी द्वारा दायर उस याचिका को भी नामंजूर कर दिया, जिसमें उन्होंने एक अतिरिक्त सीडी चलाने का अनुरोध किया था. अदालत ने स्पष्ट किया कि रिकॉर्ड में ऐसी कोई सीडी मौजूद नहीं है.
सीडी में कोई डेटा ही नहीं था
14 नवंबर को सत्यकी की मुख्य जिरह के दौरान सबूत के रूप में पेश की गई वह सीडी चलाई नहीं जा सकी, जिसमें दावा किया गया था कि राहुल गांधी ने 2023 में लंदन में आपत्तिजनक भाषण दिया था. जांच में पता चला कि सीडी में कोई डेटा था ही नहीं. सत्यकी सावरकर के वकील संग्राम कोल्हटकर ने अदालत से सत्यकी सावरकर लिंक चलाने की अनुमति देने का अनुरोध किया, लेकिन अदालत ने इसे भी मंजूरी नहीं दी.
राहुल गांधी की याचिका
इसी साल मई में कांग्रेस सांसद और नेता विपक्ष राहुल गांधी ने पुणे की विशेष MP/MLA अदालत में एक याचिका दाखिल की थी. इस याचिका में उन्होंने ऐतिहासिक तथ्यों का हवाला देते हुए कहा है कि नाथूराम गोडसे और विनायक सावरकर, दोनों “हिंदू राष्ट्र” के कट्टर समर्थक थे. उन दोनों ने मुसलमानों और ईसाइयों को भारत के लिए “अयोग्य” माना और विभाजन के समय महात्मा गांधी की मुसलमानों के प्रति “सहानुभूतिपूर्ण” नीति के कारण उनकी हत्या की साजिश रची. राहुल गांधी ने अपनी याचिका में यह दावा भी किया कि हिंदुत्ववादी नेता विनायक सावरकर का गोडसे से रक्त संबंध था, जो एक महत्वपूर्ण तथ्य है लेकिन तकरारकर्ता सत्यकी सावरकर ने अपनी आपराधिक मानहानि की शिकायत में इसे छिपाया है.
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