ई−रिक्शा पर पेंच अभी भी फंसा हुआ है। गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में इस मुद्दे पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की वकील एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने कोर्ट को बताया कि इस बारे में बिल का ड्राफ्ट जल्द ही कानून मंत्रालय को भेजा जाएगा। साथ ही कोर्ट को यह भी बताया कि ई−रिक्शा लाखों लोगों के जीवनयापन का ज़रिया है, इसलिए इससे बैन हटाया जाए।
लेकिन, तमाम दलीलों के बावजूद अदालत संतुष्ट होती नहीं दिखी। जस्टिस बीडी अहमद और जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की बेंच ने कहा कि ई−रिक्शा कानून का उल्लंघन कर रहे हैं और हम कैसे कहें कि आप कानून का पालन मत करो यानि यह मामला आज भी वहीं है जहां पहले दिन था।
ई−रिक्शा किसी कानून के तहत आते नहीं ऐसे में सड़क पर इनका चलना खतरनाक है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि हमारे सामने ऐसा कोई सुबूत नहीं जो यह बताए कि सारे ई−रिक्शा चालक उन रिक्शों के मालिक ही है जिनको वह चलाते हैं। यानि कोर्ट यह संकेत दे रही है कि जो जीवनयापन के संकट की दलील सरकार की तरफ़ से या ई−रिक्शा संघ की तरफ़ से दी जा रही है, उसको कोर्ट यूहीं मान लेगी।
कोर्ट लगातार यह बात कह रही है कि जब ई−रिक्शा के मालिक का नहीं पता, चालकों का नहीं पता, ड्राइविंग लाइसेंस का नहीं पता, ई−रिक्शा में इस्तेमाल होने वाली पॉवर का नहीं पता, क्षमता का नहीं पता, तो कैसे इनको सड़क पर चलने की इजाज़त दे दी जाए।
दलीलें ई−रिक्शा संघ की तरफ़ से भी रखने की कोशिश की गईं, लेकिन उनमें कुछ भी नया नहीं दिखा। वैसे तो केंद्र सरकार की तरफ़ से भी कुछ खास नई दलील देखने को नहीं मिली। लेकिन समय की कमी के चलते इस मामले में बहस शुक्रवार सुबह तक के लिए स्थगित कर दी गई।
याद रहे कि ई−रिक्शा दिल्ली की सड़कों पर चलाने पर 31 जुलाई 2014 से दिल्ली हाईकोर्ट का बैन है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं