
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की पंजाब सरकार ने बाढ़ पीड़ितों को दीवाली से पहले मुआवजा देने का वादा निभाते हुए 209 करोड़ रुपये की पहली किश्त जारी कर दी है. इस राशि में से संगरूर जिले के बाढ़ पीड़ितों को 3.50 करोड़ रुपये बांटे जाएंगे.
पंजाब के वित्त एवं योजना मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने धूरी निर्वाचन क्षेत्र में आठ बाढ़ प्रभावित परिवारों को स्वीकृति पत्र सौंपकर मुआवजा बांटने की औपचारिक शुरुआत की. उन्होंने बताया कि पंजाब में 13 कैबिनेट मंत्री 'मिशन पुनर्वास' के तहत राहत राशि बांटने के लिए बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं. इससे पहले, मुख्यमंत्री मान ने अजनाला में 631 किसानों को 5.70 करोड़ के चेक बांटकर योजना की शुरुआत की थी.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮਾਣਯੋਗ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਸ. ਭਗਵੰਤ ਮਾਨ ਜੀ ਨੇ ਆਪਣੇ ਵਾਅਦੇ ਮੁਤਾਬਿਕ 'ਮਿਸ਼ਨ ਚੜ੍ਹਦੀਕਲਾ' ਤਹਿਤ ਹੜ੍ਹ ਪੀੜਤਾਂ ਦੀ ਬਾਂਹ ਫ਼ੜੀ ਹੈ, ਸੰਗਰੂਰ ਜ਼ਿਲ੍ਹੇ ਦੇ ਹੜ੍ਹ ਪੀੜਤਾਂ ਨੂੰ ਅੱਜ ਮੁਆਵਜ਼ੇ ਦੇ ਚੈੱਕ ਵੰਡੇ ਗਏ।#AAPkisanDeNaal pic.twitter.com/JkSBg23mi0
— Adv Harpal Singh Cheema (@HarpalCheemaMLA) October 16, 2025
वित्त मंत्री चीमा ने कहा कि देश में पहली बार किसानों को फसल के नुकसान के लिए प्रति एकड़ 20 हजार रुपये मुआवजा दिया गया है. भारी बारिश और बाढ़ से राज्य में बड़े पैमाने पर फसलें खराब हो गई थीं. कई लोगों के घर और इमारतें ढह गई थीं. प्रभावित परिवारों के नुकसान का आकलन करने के बाद राहत राशि दी जाएगी. पहली बार प्रत्येक क्षतिग्रस्त घर को 40 हजार रुपये मिलेंगे जबकि पहले केवल 4,000 रुपये मिलते थे.
हरपाल सिंह चीमा ने केंद्र सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया और पंजाब दौरे में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा घोषित 1600 करोड़ रुपये की सहायता राशि जल्द जारी करने की मांग की. उन्होंने स्पष्ट किया कि केंद्र द्वारा जारी 240 करोड़ रुपये वार्षिक किश्त का हिस्सा हैं.
चीमा ने दावा किया कि पंजाब सरकार ने लोगों के सहयोग से पूरी ताकत से बाढ़ का मुकाबला किया और समय पर बचाव व राहत कार्य शुरू करके बड़े नुकसान को टाला गया. उन्होंने संगरूर जिला प्रशासन की सराहना करते हुए कहा कि घग्गर नदी में 755 फीट पानी होने के बावजूद स्थिति नियंत्रण में रही जबकि आमतौर पर 747 फीट पर ही तटबंध टूट जाता था.
डिप्टी कमिश्नर राहुल चाबा ने बताया कि पंजाब सरकार के निर्देश पर अग्रिम आपात व्यवस्थाएं की गई थीं, जिसकी वजह से संगरूर जिले से गुजरने वाली घग्गर नदी के 41 किलोमीटर इलाके में एक भी तटबंध नहीं टूटने दिया गया.
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