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This Article is From Nov 16, 2016

नोटबंदी का असर : एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव में धंधा हुआ मंदा

नोटबंदी का असर : एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव में धंधा हुआ मंदा
मुंबई: 500-1000 की नोटबंदी का असर देश के हर कोने में पड़ रहा है. ऐसे में ये खबर आम आदमी की तकलीफें और बढ़ा सकती है. खरीदार नहीं है बावजूद इसके मंडियों में दाम बढ़ रहे हैं. ट्रांसपोर्टरों ने भी ट्रक जहां-तहां खड़े कर दिये हैं इससे आवक पर भी असर पड़ा है.

एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी महाराष्‍ट्र के लासलगांव में पांच दिनों की बंदी के बाद बुधवार को कारोबार शुरू हुआ है, लेकिन धंधा अभी भी मंदा है. मंडी के कारोबारी संजय परदेसी ने कहा, "सरकार के नोटबंदी का फैसला अच्छा है लेकिन इससे व्यापार में बहुत दिक्कत आ रही है. अभी प्याज की मंडी बंद थी लेकिन किसान तैयार नहीं हैं. उनका कहना है कि बैंक में भी 4000 रु तक ही बदले जाएंगे ऐसे में वो भी लेने को तैयार नहीं है. ऐसे में किसान, व्यापारी और आढ़ती सबका भारी नुकसान हुआ है. अभी मॉर्केट चालू होने के बाद पुराना माल आएगा, उससे फर्क पड़ेगा किसान का नुकसान होगा. सब्जी कोई लेने को तैयार नहीं है, लिमिट 10000 नहीं बल्कि व्यापारी के लिये 2-3 लाख रु. का होना चाहिये.''

मंडी में पुराना माल पड़ा है, कारोबारी-खरीदार-किसान कोई भी 500-1000 के नोट में व्यापार नहीं करना चाहता, फिर भी प्याज 8 रु/किलो से सीधे 20रु/किलो तक जा पहुंचा है लेकिन किसानों ने साफ कह दिया है कि वो चेक नहीं स्वीकारेंगे. लासलगांव मंडी में आए जुन्नर के किसान संदीप शिंदे ने कहा, "फलों में हमें भारी नुकसान हुआ है किसान को फटका लगा है. मज़दूर भी 500-1000 नहीं लेते, दुकानदार नहीं लेता तो हम क्या करें.''

लासलगांव मंडी में रोज़ाना तकरीबन 3 करोड़ रु की सिर्फ प्याज की खरीद-बिक्री होती है, देश भर की मंडी ज्यादातर नकदी पर ही चलती है. ऐसे में बदलाव के लिये सब तैयार तो दिखते हैं लेकिन नोट के बदले कार्ड पर आना थोड़ा मुश्किल लगता है.

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